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    सियासत की ओछी चाल में गुम हो गया हड़हा निर्वाचन क्षेत्र

    By Edited By: Updated: Tue, 27 Dec 2011 11:58 PM (IST)

    उन्नाव, निप्र: विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में सुरक्षित क्षेत्रों की स्थिति में परिवर्तन न कर जिस तरह यथावत रखा गया उससे सामाजिक क्षेत्र की उदीयमान प्रतिभाओं को चुनावी समर में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल पा रहा है। चालीस वर्षों से अधिक समय से सफीपुर व हसनगंज के मतदाता सुरक्षित होने का दंश झेल रहे हैं। कोई तीस वर्ष बाद परिसीमन होने पर हसनगंज क्षेत्र का नाम बदल मोहान कर दिया गया। जिससे यहां के अन्य वगरें के लोगों में चुनाव लड़ने की तमन्ना फिर धरी रह गयी है। वहीं दूसरी ओर जिले सात विधान सभा क्षेत्रों में हड़हा को समाप्त कर देने से वहा के निवासी मन ही मन कुंठित है वह इसे सियासत का ओछा हथकंडा करार दे इसे क्षेत्र के लिये अभिशाप मान रहे हैं। गौरतलब है हड़हा विधान सभा क्षेत्र गंगा नदी से सई नदी तक विकसित रहा है और एक से एक धुरंधर जनप्रतिनिधि हुए जिन्होंने स्वयं के साथ हड़हा क्षेत्र के नाम की साख देश के राजनैतिक पटल पर छोड़ी। हड़हा विधान सभा क्षेत्र का तीस वर्ष पूर्व 1974 में गठन बिछिया की जगह पर किया गया था सुकवि सम्राट पं गया प्रसाद शुक्ल की जन्मभूमि हड़हा है। जिससे पहली बार कांग्रेस की टिकट पर सच्चिदानंद बाजपेई विधायक चुने गये लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में पुन: चुनाव होने पर जनता पार्टी से हेमराज लोधी विधायक हुए। श्री लोधी की हत्या होने पर 1979 के उपचुनाव में श्री बाजपेई पुन: विजयी हुए। 1980 में विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्यमंत्री बने तो मंत्रिमंडल में हड़हा से निर्वाचित विधायक सच्चिदानंद बाजपेई को शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया। 1989 मुलायम सिंह यादव प्रदेश में मुख्यमंत्री होने पर श्री बाजपेई को कैबिनेट में शामिल कर शिक्षा मंत्रालय का दायित्व सौंपा। तब मंत्रालय को टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग मंत्री बनाने का प्रचलन नहीं था। इससे श्री बाजपेई ने शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने के लिये शिक्षकों एवं बुद्धिजीवियों में सुझाव आंमत्रित कर शिक्षा व्यवस्था में अमूल चूल परिवर्तन किया जिससे देश में भी उनका व हड़हा क्षेत्र का मान बढ़ा। वर्ष 1990 में यहां से कांग्रेस के डा. गंगा बक्स सिंह जीते तो वह भी आगे चलकर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री बनाये गये। वह दो बार मंत्री रहे। वर्ष 93 में भाजपा से सुंदरलाल लोधी से जीते। वर्ष 1996 में उन्हें पराजय मिली पर 2007 के निर्वाचन में लोधी पाला बदलकर सपा से प़ुन: विधायक चुने गये। हड़हा क्षेत्र खत्म होने का सबसे अधिक रंज चुनावी अखाड़े के महारथियों को है। वह अब एक नये क्षेत्र की तलाश में हैं। इसके चलते सुंदर लाल लोधी ने पाला बदल सपा से बसपा का दामन इस चुनाव में थाम रखा है। स्वयं मैदान में ना आकर उन्होंने अपने पुत्र नरेन्द्र को पुरवा से चुनाव बसपा से लड़वा रहे हैं जबकि कांग्रेस के डा. जीबी सिंह ने भगवंतनगर क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रखी है।

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