बहु धनुही तोरी लरिकाई, अस रिषि कबहूं न कीन गोसाई
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धर्म :लोहया की परंपरागत धनुष यज्ञ लीला
-परशुराम-लक्ष्मण संवाद सुन भाव विभोर हुए दर्शक
अचलगंज, अप्र : शुक्रवार बीती रात लोहया गांव में परंपरागत धनुष यज्ञ लीला का भावपूर्ण मंचन देख ग्रामीण अभिभूत रहे। रावण-वाणासुर संवाद, करुण जनक विलाप व लक्ष्मण-परशुराम संवाद शनिवार प्रात: नौ बजे तक चलता रहा। परशुराम की विद्वता, लक्ष्मण की चपलता व राम गरिमामय अभिनय देख श्रोता भाव विभोर रहे।
विदेह राज की भूमिका में रामेन्द्र मिश्रा ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी। बारह मास से चल रहे मैथिल अधिवेशन के अंतिम दिवस रंगशाला में शिव के अखंड अजगव का प्रतिष्णापन मिथला पति के आदेश पर होता है। उनकी प्रतिज्ञा की घोषणा बंदी जन करते हैं जो नृपपाल अखंड अजगव का खंडन करेगा पुत्री सीता का विवाह उसके साथ होगा। देश देशांतर के राजा महाराजा आते हैं पर कोई भी धनुष तोड़ना तो दूर उठा भी नहीं पाता है। राजा जनक यह स्थिति देख व्याकुल हो जाते हैं। सीता स्वयंवर का प्रण पूरा न होने की चिंता उनके धैर्य को तोड़ देती है। 'वीर विहीन मही मय जानी' कहते हुए आये नृपपालों को चले जाने का आदेश देते हैं। गुरु विश्वामित्र के आदेश पर भगवान राम शिव के अजगव का खंडन कर जनक का संताप करते हैं।
परशुराम के अभिनय में बांदा के पं. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र ने अपनी छाप छोड़ी। शिव के धनुष को तोड़ने वाले राम द्वारा एक दास कहे जाने पर भड़के परशुराम फरसे से उसका सिर खंडन करने की घोषणा करते हैं। लक्ष्मण 'बहु धनुही तोरी लरिकाई' कहकर उनका गुस्सा और बढ़ा देते हैं। सुबह नौ बजे तक चले संवाद का समापन व्यास पीठ के अशोक सारस्वत ने परशुराम को भगवान की महत्ता की याद दिलाकर करायी। अतर्रा बांदा की प्रसिद्ध राम लक्ष्मण की जोड़ी को शैलेन्द्र कुमार व जितेन्द्र कुमार ने अभिनय से प्रभावित किया। ओम प्रकाश त्रिवेदी ने रावण व राकेश त्रिपाठी ने वाणासुर की भूमिका से प्रभावित किया। बाबूलाल मिश्र, संजय मिश्र व ग्राम प्रधान पति इन्द्रराज ने भगवान की आरती उतारी। इस मौके पर रामरतन मिश्रा, रामचन्द्र, रामबाबू मिश्र, हरी शंकर दीक्षित, जीतेन्द्र यादव आदि मौजूद रहे।
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