मौसम की मार, हड़हा में घर-घर बीमार
उन्नाव, जागरण संवाददाता : मौसम का मिजाज जैसे-जैसे गरम हो रहा है। डायरिया जैसे संक्रामक रोगों का कहर
उन्नाव, जागरण संवाददाता : मौसम का मिजाज जैसे-जैसे गरम हो रहा है। डायरिया जैसे संक्रामक रोगों का कहर भी बढ़ता जा रहा है। मौसम की मार से हड़हा गांव के एक मोहल्ले में घर-घर बच्चे बीमार हैं। हालात भले ही यह बयां कर रहे हों कि संक्रामक रोगों का कहर तेज हो रहा है। लेकिन स्वास्थ्य प्रशासन इससे बेखबर सूचना के इंतजार में बैठा है। स्वास्थ्य प्रशासन का यह रवैया तब है जब जिला अस्पताल के सीएमएस सीएमओ को पत्र लिख चुके हैं कि सीएचसी पीएचसी पर डायरिया के जिन रोगियों का उपचार संभव है उन्हें भी भर्ती न कर रिफर कर जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। इससे बेडों की समस्या उठ खड़ी हुई है। यूं तो संक्रामक रोगों ने इस कदर पांव पसार रखा है कि हर पांचवें घर में डायरिया और वायरल बुखार के रोगी मिल जाएंगे। अचलगंज के गांव हड़हा के मोहल्ला पचगवां में तो घर-घर डायरिया और वायरल बुखार के रोगी हैं। इस गांव के जिन डायरिया पीड़ित रोगियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है उनमें एक घर के दो सदस्य तक शामिल हैं। मुन्नी 19 पुत्री मुस्तकीम व उसके भतीजी आसना पुत्री वलीम, शहबान 13 उसके भाई फैजान 11 पुत्र अफजाल, कासिफ 4 उसकी बहन अफसाना 6 पुत्री आदिल, आसना डेढ वर्ष पुत्री वलीम, असरा 2 वर्ष पुत्री मो. मुबीन, आलमीन डेढ़ वर्ष पुत्र शकील, वंशू पुत्र देवेंद्र निवासीगण हड़हा थाना अचलगंज को शनिवार शाम से लेकर रविवार दोपहर तक जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अफजल ने बताया कि गांव में घर-घर डायरिया के रोगी हैं। दर्जनों लोग अचलगंज सीएचसी और निजी डॉक्टरों से उपचार करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अधिकतर रोगी पचगवां मोहल्ले के ही हैं। उनका कहना था कि अभी तक स्वास्थ्य विभाग की कोई टीम गांव झांकने तक नहीं गई है।
शहर के मोहल्ला गांधीनगर, तालिबसरांय, हिरननगर और आदर्शनगर के डायरिया पीड़ित रोगी भी बहुतायत में जिला अस्पताल पहुंचे हैं। डायरिया का प्रकोप जिले में किस कदर बढ़ा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शनिवार दोपहर 12 बजे से लेकर रविवार को 12 बजे तक जिला अस्पताल में डायरिया के 42 रोगी भर्ती कराए जा चुके थे। भर्ती रोगियों में सबसे अधिक हड़हा और उसके बाद शहर के गांधीनगर और तालिब सरांय के थे। असोहा, फतेहपुर चौरासी, पाटन, बीघापुर, सिकंदरपुर सरोसी आदि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्षेत्र के रोगी भी बड़ी संख्या में जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं।
अप्रैल में 973 डायरिया पीड़ित पहुंचे जिला अस्पताल
अभी तो गर्मी की शुरुआत मानी जा रही है। शुरुआती दौर में ही संक्रामक रोगों के कहर का ये आलम है तो जेठ में क्या हाल होगा इसकी कल्पना मात्र से ही लोग सिहर रहे हैं। गुजरे अप्रैल माह में जिला अस्पताल में डायरिया के 973 रोगी भर्ती किए गए। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि गत वर्ष अप्रैल में 373 डायरिया रोगी ही भर्ती हुए थे।
डायरिया के प्रमुख कारण व बचाव के उपाय
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. जेपी ने बाजपेई ने बताया कि डायरिया फैलने के तीन प्रमुख कारण हैं। इनमें सबसे अहम कारण दूषित पानी का सेवन करना है। साफ सफाई न होना दूसरा और बासी भोजन करना तीसरा कारण है। उन्होंने कहा कि हैंडपंपों के आसपास साफ सफाई रखें और हैंडपंप का पानी उबालने के बाद ठंडा कर उपयोग करें तो डायरिया का पचास प्रतिशत खतरा कम हो जाएगा। डॉ. बाजपेई का कहना था कि बासी भोजन किसी कीमत पर न करें। घरों के आसपास गंदगी न जमा होने दें। गंदगी से डायरिया और वायरल बुखार के वायरस तेजी से फैलता है।
स्वास्थ्य विभाग को रहता सूचना का इंतजार
संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष बना है। संचारी रोग के नोडल अधिकारी भी तैनात हैं। एपेडमिक टीम भी गठित है पर रोग फैलने न पाएं इसके लिए कोई कार्ययोजना नहीं है। संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष को जब कहीं सामूहिक संक्रामक रेाग फैलने की सूचना आती है तब डाक्टरों की टीम सक्रिय होती है। संबंधित क्षेत्र में पहुंच रोकथाम के प्रयास करती है। सवाल यह उठता है कि जब शहर से लेकर गांव तक संक्रामक रोगों का कहर तेजी से बढ़ा है। उसके बाद भी उनकी रोकथाम के लिए कोई कारगर कार्ययोजना तैयार नहीं की है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए ग्राम स्वास्थ्य समितियों को दस-दस हजार रुपया दिया गया था। जिससे उन्हें नालियों की साफ सफाई और दवा आदि का छिड़काव कराना था। अगर ग्राम पंचायत यह काम करवा लें और लोग सफाई के प्रति सजग रहे हैं तो संक्रामक रोग कम फैलेंगे। सभी पीएचसी व सीएचसी पर संक्रामक रोगों की पर्याप्त दवाएं भेजी जा चुकी हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह डायरिया, वायरल बुखार, गैस्ट्रोइनट्राइटिस के रोगियों को भर्ती कर उपचारित करें। इसके अतिरिक्त जहां कही सामूहिक रोगी होने की सूचना आती है वहां क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्रों और जरुरत पड़ने पर जिले से एपेडमिक टीम भेजी जा रही है।
-डॉ. बीएन श्रीवास्तव सीएमओ।
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