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    माता राज राजेश्वरी मंदिर

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    Updated: Tue, 20 Oct 2015 06:22 PM (IST)

    बांगरमऊ नगर में माता राज राजेश्वरी देवी मंदिर को एतिहासिक मंदिर के रूप में नगर के लोग जानते हैं। इस

    बांगरमऊ नगर में माता राज राजेश्वरी देवी मंदिर को एतिहासिक मंदिर के रूप में नगर के लोग जानते हैं। इस मंदिर को कलकतिया देवी मंदिर के उपनाम से भी नगर के लोग पुकारते हैं। यहां पूरे वर्ष देवी भक्तों का आना जाना रहता है। नवरात्रि के दिनों में यहां देवी भागवत का आयोजन होता है, और दस महाविद्याओं में एक माने जाने वाले इस मंदिर की पूजा अर्चना तंत्र शास्त्र पर आधारित है। इससे इसको उत्तर भारत में महत्व पूर्ण मंदिर में एक एक जाना जाता है।

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    मंदिर का इतिहास

    नगर के पं. दुलारे लाल शुक्ल की गिनती बांगरमऊ के जमींदार व रहीशों में की जाती थी। उन्होंने कलकत्ता में रहकर कई वर्ष तक प्रथम विश्व युद्ध के समय कपड़ा का व्यवसाय कर धनार्जन किया और वहीं से लगभग नौ गांव की जमींदारी खरीदी। इसके बाद वह 1921 के आस-पास अपने मूल निवास बांगरमऊ आकर रहने लगे। बंगाल की संस्कृति से प्रभावित होने के कारण वह काली माता, दुर्गा माता के अनन्य भक्त थे। इससे उन्होंने 1928 में भगौती राज राजेश्वरी देवी मंदिर का निर्माण कराना प्रारंभ किया। जो 1932 में पूरा हुआ। यह बंगाल संस्कृति का एक अछ्वुत उदाहरण व नमूना है। गंगा दशहरा के दिन इस मंदिर में भगौती राज राजेश्वरी देवी मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा व स्थापना 1932 में हुई, और यहां श्रीयंत्र के माध्यम से पूजा व अर्चना की जाने लगी। मान्यता है कि दस महाविद्याओं में से एक मानी जाने वाली इन देवी की जी भी पूजा उपासना करता हैं। उन्हें विद्या ज्ञान सम्रद्धि एवं ऐश्वर्य देवी जी प्रदान करती है। कैसे पहुंचें मंदिर

    उन्नाव से 50 किमी दूर बांगरमऊ कस्बे में स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए उन्नाव हरदोई लखनऊ कन्नौज से रोडवेज व निजी वाहन आते जाते हैं। इसके अलावा कानपुर बालामऊ रेलवे लाइन भी है। इनके माध्यम से बांगरमऊ पहुंचकर माढ़ापुर मार्ग पर यह मंदिर स्थित है।