Water Conservation: मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ का निर्देश, जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाए
CM Yogi Adityanath Serious on Water Conservation मुख्यमंत्री ने तराई क्षेत्र के किसानों की समस्याओं पर कहा कि जलाशयों का गाद निकालकर उसे पुनर्जीवित किया जाए जिससे अधिक से अधिक किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल सके। कटान रोकने के लिए सिल्ट का उपयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि नलकूपों का प्राथमिकता के आधार पर जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण किया जाए।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। नलकूपों से पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाने के साथ ही जल संरक्षण (वाटर कंजर्वेशन) की समुचित व्यवस्था की जाए। वर्षा का मौसम इसके लिए सबसे उपयुक्त होता है। इससे भूगर्भीय जल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलेगी और डार्क जोन वाले क्षेत्रों में सुधार होगा।
राजकीय नलकूपों के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण पर शनिवार को सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, बाण सागर, मध्य गंगा जैसी प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा की। निर्देश दिए कि इन परियोजनाओं में जो कमियां हैं उन्हें दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के सशक्त क्रियान्वयन से ग्रामीण और शहरी इलाकों में पानी की समस्याओं का समाधान होगा।
मुख्यमंत्री ने तराई क्षेत्र के किसानों की समस्याओं पर कहा कि जलाशयों का गाद निकालकर उसे पुनर्जीवित किया जाए, जिससे अधिक से अधिक किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल सके। कटान रोकने के लिए सिल्ट का उपयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि नलकूपों का प्राथमिकता के आधार पर जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण किया जाए। इससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी और किसानों की लागत घटेगी। नलकूपों के आधुनिकीकरण व जीर्णोद्धार के कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता से कोई समझौता न किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। नलकूपों के आधुनिकीकरण और जल संरक्षण की इन पहलों से आने वाले समय में राज्य का कृषि उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की आय में सकारात्मक वृद्धि देखने को मिलेगी।
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