यूपी में यूरिया के बाद डीएपी के संकट से किसान परेशान, खाद पाने के लिए समिति का सदस्य होना अनिवार्य
उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर में यूरिया के बाद अब डीएपी खाद की कमी से किसान परेशान हैं। किसानों को खाद पाने के लिए सहकारी समितियों का सदस्य होना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे छोटे किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद की कमी से बुवाई प्रभावित होने की आशंका है।

यूरिया के बाद डीएपी के संकट से किसान परेशान।
संवाद सूत्र, सेमरी बाजार (सुलतानपुर)। यूरिया के बाद अब डीएपी के संकट से किसानों को दो-चार होना पड़ रहा है। घंटों लाइन में लगने के बाद उन्हें निराश होना पड़ता है। सेमरी संघ के महमूदपुर सेमरी समिति पर मंगलवार को डीएपी खाद वितरण के दौरान भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही किसान खाद पाने के लिए खड़े रहे।
समिति में कुल 300 बोरी डीएपी और 100 बोरी एनपीकेएस खाद आई थी। सचिव ने केवल 200 बोरी डीएपी वितरित कर वितरण बंद कर दिया। इससे कई किसानों को बैरंग वापस लौटना पड़ा।
खाद पाने के लिए समिति का सदस्य होना अनिवार्य
समिति सचिव भूपेंद्र मिश्र ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार इस बार केवल उन्हीं किसानों को खाद दी जा रही है जिनकी भूमि महमूदपुर सेमरी न्याय पंचायत क्षेत्र में आती है। उन्होंने बताया कि डीएपी पाने के लिए समिति का सदस्य होना अनिवार्य है।
सदस्यता के लिए किसान को कुल 226 रुपये जमा करने होंगे।उन्होंने बताया कि अत्यधिक भीड़ और अव्यवस्था के कारण केवल 200 बोरी डीएपी ही वितरित की जा सकी।
नहीं मिली खाद
खाद वितरण स्थल पर पहुंचे किसान उमेश पाल ने बताया कि वह महमूदपुर सेमरी समिति पर डीएपी खाद लेने गए थे, लेकिन भीड़ अधिक होने और गांव दूसरे न्याय पंचायत में होने के कारण खाद नहीं मिल सकी।
किसान रामबहादुर निषाद ने कहा कि विभाग द्वारा लागू की गई सदस्यता व्यवस्था से खाद वितरण में पारदर्शिता आएगी और बाहरी किसानों पर रोक लगेगी।
विनोद यादव का कहना था कि यदि वितरण इसी तरह नियमपूर्वक हुआ तो किसानों को कालाबाजारी से राहत मिलेगी।
किसान अमित यादव ने भी कहा कि भीड़ के कारण खाद नहीं मिल सकी। सरकार की मांग के अनुसार आपूर्ति बढ़ानी चाहिए।
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