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    अभियाखुर्द के श्री काली महेश्वर धाम में सावन भर रहता मेले सा नजारा

    अभियाखुर्द गांव के बीच तालाब किनारे स्थित शिवमंदिर श्रद्धालुओं

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 11:09 PM (IST)
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    अभियाखुर्द के श्री काली महेश्वर धाम में सावन भर रहता मेले सा नजारा

    अभियाखुर्द के श्री काली महेश्वर धाम में सावन भर रहता मेले सा नजारा

    श्री काली महेश्वर धाम अभियाखुर्द अभियाखुर्द गांव के बीच तालाब किनारे स्थित शिवमंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। गर्भगृह में शिवलिंग व नंदी की प्रतिमा है। सावन में प्रतिदिन मेले जैसा नजारा दिखता है। भोर से ही जलाभिषेक को श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है। पड़ोसी जनपद के लोग भी बाबा का दर्शन करने आते हैं। इतिहास मंदिर के स्थापना के बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है। कोई भरों के जमाने का तो कोई और पुराना बताता है। एक दशक पूर्व ग्रामीणों के सहयोग से इसका जीर्णोद्धार कर इसे भव्य रूप प्रदान किया गया। मंदिर में शिवलिंग व नंदी सहित देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। तैयारियां सावन के पूर्व ही मंदिर की रंगाई-पोताई कर सजाया, संवारा गया है। मंदिर मार्ग को भी ग्रामीणों ने दुरुस्त किया। बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक करने के लिए जाने वाले कांवड़िये यहां आना नहीं भूलते हैं। उनके ठहरने व भोजन का इंतजाम मंदिर के व्यवस्थापकों द्वारा किया जाता है। विशेषता सावन में दुग्धाभिषेक के उपरांत मंदिर में सांप आते हैं और कुछ देर रहने के बाद वापस भी लौट जाते हैं। प्रतिदिन कोई न कोई भक्त बाबा काे भोग लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करता है। शाम के समय महिलाएं व पुरुष अलग-अलग टोली बनाकर भजन करते हैं। ऐसे पहुंचें जिला मुख्यालय से रोडवेज बस व अन्य साधनों से दोमुंहा चौराहे तक पहुंचा जा सकता है। वहां से मंदिर की दूरी 500 मीटर है, जहां तक अधिकतर श्रद्धालु पैदल जाते हैं। -मंदिर परिसर में बैठने से सुख की अनुभूति होती है। गांव में कोई शुभ कार्य करने से पूर्व श्रद्धालु बाबा का दर्शन करने जरूर आते हैं। प्रतिवर्ष होने वाले भंडारे में सभी का सहयोग रहता है। विजयशंकर पांडेय, श्रद्धालु -महादेव का यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। शिव बहुत ही भोले हैं। बेलपत्र, जल, फूल से भी प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। सुबह-शाम होने वाली आरती विशेष होती है, जिसमें गांव के अधिकांश लोग हिस्सा लेते हैं। -राम अछैबर, पुजारी

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