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    सुलतानपुर में घाघरा नदी बनी मुसीबत! आबादी तक पहुंच गया पानी; ग्रामीण बोले- 'हर साल बर्बादी होती है'

    Updated: Sat, 06 Sep 2025 04:56 PM (IST)

    सुल्तानपुर में घाघरा नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव जारी रहने से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नदी का पानी आराजी देवारा की आबादी में घुस गया है जिससे बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बाढ़ से फसलें बर्बाद होती हैं और उचित मुआवजा भी नहीं मिलता। प्रशासन द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में मदद पहुंचाई जा रही है।

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    आबादी तक पहुंच गया पानी, बाढ़ का खतरा मंडराया

    जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। घाघरा नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। ग्रामीणों की मुश्किलें थम नहीं रही हैं। शनिवार को नदी का पानी आराजी देवारा की आबादी में पहुंच गया। बाढ़ विभाग ने जलस्तर में 10 सेंटीमीटर कमी का दावा किया है। मांझा कम्हरिया व आराजी देवारा के दर्जनभर गांवों के वाशिंदों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।

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    तहसील प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, पुलिसकर्मी बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौराकर स्थिति की जानकारी ले रहे हैं। बाढ़ खंड प्रभावित क्षेत्रों के ग्रामीणों को बाढ़ की हालत में हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया जा रहा है।

    बाढ़ प्रभावित गांवाें सिद्धनाथ पटपरवा, अराजी देवारा, हंसू का पुरवा व मांझा के अन्य गांवों में घाघरा नदी में आयी बाढ़ से निचले इलाके में पानी पहुंच गया है। मित्रसेन ने बताया कि हर वर्ष बारिश होने संग गांवों में बाढ़ की समस्या पैदा होती है। राहत दिलाने में कोई ठोस कदम उठाने की जगह हरबार बाढ़ आने के बाद प्रभावित लोगों के ज़ख्मों पर मदद का मरहम लगा प्रशासन अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता हैं।

    यह भी पढ़ें- मीरजापुर में फिर बाढ़ का खतरा! 3 CM प्रति घंटे की दर से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर, 300 गांव प्रभावित

    क्रांतिकारी मज़दूर पार्टी के मित्रसेन यादव ने बताया कि बाढ़ आने की सबसे बड़ी वजह नदी पर बने दो ओवरब्रिज व घाघरा नदी के तलहटी पर बड़े पैमाने पर जमी गाद से नदी की गहराई कम हो जाती है। इससे बाढ़ की संभावना बढ़ती है। हर वर्ष बारिश से पहले नदियों की समुचित सफाई का नहीं होना है।

    \Bग्रामीणों ने बयां किया दर्द :\B ग्रामीण फूलबदन यादव, पारसनाथ, राजेश कुमार, जितेंद्र, श्रीराम, चौथी, मुन्नीलाल, भोलानाथ ने बताया कि हर वर्ष बाढ़ आने से सैकड़ों एकड़ फसलें बर्बाद हो जाती है। यह कोई पहली बार नही हुआ है। हर साल बाढ़ आती और फसलें बर्बाद हो जाती है। सरकार की तरफ से बर्बाद फसलों के लिए उचित मुआवजा भी नहीं मिलता है।

    बाढ़ से गांवों में गंदगी का अंबार लग जाता है, इससे बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है। मवेशियों के लिए हरे चारे की दिक्कत शुरू हो गई है। कटान से कई एकड़ खेत नदी की भेंट चढ़ गए है। अराजी देवारा के प्रसाद कुर्मी का पुरवा में लोगों को नाव के सहारे आना जाना पड़ रहा है।

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    बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर नदी के जलस्तर का जायजा लिया जा रहा है। बाढ़ पीड़ित लोगों को प्रशासन से मिलने वाली सुविधाओं से आश्वस्त किया जा रहा है। स्वास्थ, राजस्व एवं पुलिस की टीम मुस्तैदी के साथ लोगों को मदद के लिए तत्पर हैं।

    \Bसुभाष सिंह, एसडीएम\B

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