'मोंथा' के कहर से खेतों में धान की फसल बर्बाद, पुआल भी सड़ा; किसानों की बढ़ी मुसीबत
सुलतानपुर में मोंथा तूफान के बाद धूप निकलने पर किसान धान की फसल सुखाने पहुंचे तो अंकुरित धान देखकर निराश हो गए। किसानों का अनुमान है कि 40% से अधिक फसल का नुकसान हुआ है। किसान फसल को बचाने के लिए खेतों में पलट रहे हैं, जिससे लागत बढ़ गई है। राजस्व अधिकारी नुकसान का आकलन कर रहे हैं।

जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। मोंथा तूफान के प्रकोप के बाद छठें दिन धूप निकली तो किसान धान की फसल को सुखाने खेतों में पहुंचे। अंकुरित धानों को देखकर उनके होश उड़ गए। पुआल भी मवेशियों के खाने लायक नहीं रहा। वह सड़ चुका था। किसानों का कहना है कि 40 प्रतिशत से अधिक फसल के नुकसान होने का अनुमान है।
बभनगंवा, जगदीशपुर, बदरुद्दीनपुर, बरुई, पखरौली और धरौली गांवों में धूप निकलने से किसानों को बड़ी राहत मिली है। लगातार बारिश के बाद अब किसान अपनी धान की फसल को सूखने और सड़ने से बचाने के लिए खेतों में पलट रहे हैं।
किसान अपनी भीगी हुई धान की फसल को मेड़ों पर रखकर या पलटकर सुखा रहे हैं। बारिश के कारण उन्हें अतिरिक्त मजदूरों का खर्च उठाना पड़ रहा है, जिससे फसल की लागत बढ़ गई है। छोटे किसान अपने बच्चों के साथ मिलकर इस काम में जुटे हैं।
वहीं बेलासदा के रामकुमार व मनीष, धरौली के मन्नान, सुनील सहित कई किसानों का धान खेत में जम गया है। वह सभी कटने के बाद फसल को सूखने के लिए खेत में छोड़ दिए थे। इसी बीच बारिश शुरू हो गई। इन किसानों ने बताया कि सबकुछ बर्बाद हो गया है।
अनुपम, जयप्रकाश, महाबीर, घनश्याम, हनुमान प्रसाद, गया प्रसाद, राहुल मिश्र, योगेश मिश्र का कहना है कि 40 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है। राजस्व अधिकारी एसके त्रिपाठी ने बताया कि बारिश से हुए फसल के नुकसान का आकलन किया जा रहा है। आकलन रिपोर्ट तैयार कर मुआवजे के लिए शासन को भेजी जाएगी।

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