राहुल गांधी को सुलतानपुर कोर्ट ने दिया हाजिर होने का आदेश, अमित शाह पर की थी ये विवादित टिप्पणी
UP News कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह पर अभद्र टिप्पणी करना भारी पड़ गया है। एमपी-एमएलए कोर्ट के मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने उनपर मानहानि के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश देते हुए 16 दिसम्बर को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है। मामला गृहमंत्री अमित शाह पर विवादित टिप्पणी को लेकर है।

जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह पर अभद्र टिप्पणी करना भारी पड़ गया है। एमपी-एमएलए कोर्ट के मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने उनपर मानहानि के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश देते हुए 16 दिसम्बर को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष भाजपा नेता विजय मिश्र ने राहुल पर पांच साल पहले विशेष न्यायालय में परिवाद दायर किया था, जिसपर अब निर्णय आया है। मिश्र ने अपने परिवाद में लिखा है कि 15 जुलाई 2018 को पार्टी कार्यकर्ता अनिरुद्ध शुक्ल व दिनेश कुमार ने अपने मोबाइल पर एक वीडियो क्लिप दिखाया था। इसमें राहुल गांधी अमित शाह को हत्यारा कह रहे थे।
उस समय दो पार्टी कार्यकर्ता रामचंद्र दुबे और विनय कुमार भी बैठे थे। बयान आठ मई 2018 को बेंगलुरु में दिया गया था, जो अंग्रेजी में था।
परिवादी ने मजिस्ट्रेट को दिए बयान में कहा है कि यह बयान राजनीतिक स्टंट है, जिससे वह अपमानित महसूस कर रहे। इससे पार्टीजन भी आहत होकर बीजेपी छोड़ देने की बात कर रहे हैं। बकौल विजय बयान बेंगलुरु हुई प्रेस कान्फ्रेंस का है, जो जज लोया की मृत्यु से जुड़े तथ्यों को लेकर दिया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शाह को क्लीन चिट दे दी है।
मिश्र के अधिवक्ता संतोष पांडेय ने बताया कि परिवादी व दो गवाहों के बयान व साक्ष्यों के आधार पर राहुल गांधी को दंडाधिकारी ने आइपीसी की धारा 500 के तहत सुनवाई के लिए तलब किया है। उन्हें समन जारी कर नियत तिथि पर न्यायालय में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।
ऐसी अभद्र भाषा वालों को हो सजा: विजय
राहुल गांधी के विरुद्ध लड़ाई लड़ने वाले सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष विजय मिश्र का कहना है कि गाली-गलौज व झूठ बयानबाजी कर जनता को गुमराह करने वालों को राजनीति में नहीं रहना चाहिए। पांच साल बाद न्यायपूर्ण निर्णय आया है। अभी तो सजा होना बाकी है।
पांच साल लगे छह पेज के निर्णय में
राहुल गांधी के विरुद्ध पहला बयान परिवादी विजय मिश्र ने मजिस्ट्रेट के समक्ष 29 अगस्त 2018 को दिया था। इसके बाद अनिल मिश्र व अनिरुद्ध शुक्ल का बयान होने में दो साल लग गए थे।
विशेष लोक अभियोजक वैभव पांडेय ने बताया कि पिछले तीन साल से यह मुकदमा बहस के लिए चल रहा था, लेकिन कभी वकील नहीं आए तो कभी कोर्ट में हड़ताल रही। कई बार तो कोर्ट ने बहस का अंतिम अवसर दिया। अब पांच साल बाद तलबी बहस हुई तो छह पेज का निर्णय आया है।

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