लंका पर विजय प्राप्त कर भगवान राम ने यहां जलाया था पहला दीपक, राजा ने बनवाया था श्रीराम जानकी मंदिर
पौराणिक कथा के अनुसार, लंका विजय के बाद भगवान राम ने इस स्थान पर पहला दीपक जलाया था। एक राजा ने उनकी स्मृति में श्रीराम जानकी मंदिर बनवाया। यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है, जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है और स्थानीय समुदाय द्वारा इसका प्रबंधन किया जाता है।

लंका विजय के बाद दियरा में भगवान श्रीराम ने जलाया पहला दीप।
अश्विनी कुमार सिंह, मोतिगरपुर (सुलतानपुर)। जिले में दियरा वह स्थल है जहां भगवान प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के बाद धोपाप स्थित गोमती में स्नान कर वहीं से पांच किलोमीटर उत्तर दिशा गोमती किनारे पहला दीप जलाया और वही दियरा कहलाया। इसके उपरांत हरसायन नागापुर में रात्रि विश्राम कर अयोध्या के लिए रवाना हुए।
प्रभु श्रीराम द्वारा लंका विजय कर अयोध्या आगमन के बाद दीपावली मनाने की परंपरा रही है। मान्यता है कि विजय दशमी को लंका विजय के बाद भगवान श्री राम जब अयोध्या वापस लौटे तो धोपाप स्थित गोमती नदी में स्नान किया।
वहीं, से पांच किलोमीटर उत्तर दिशा में चलने के बाद गोमती नदी में भगवान ने दीप जलाया। और इस विशेष दिन पर दीप जलाने जैसे परंपरा की शुरुआत कही जा सकती है। फिर वहां से दो किलोमीटर दूर हरसायन नागापुर गांव में भगवान ने विश्राम किया।स्थानीय लोग इस गांव को हरिशयनी कहते हैं।
अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य ऐतिहासिक मंदिर के भूमि पूजन के दिन तत्कालीन सदर विधायक सीताराम वर्मा ने बड़ी संख्या में लोगों के साथ दीप जलाया था।
दीपावली के दिन स्थानीय लोग जनप्रतिनिधि व ब्लाक प्रमुख दीप जलाते हैं। आदि गंगा गोमती किनारे दियरा में प्राचीन श्रीराम जानकी मंदिर पुरानी कलाकृतियों से सुसज्जित है। जिसे दियरा रियासत के राजा ने सैकड़ों वर्ष पूर्व बनवाया था।
दियरा राजा ने बनवाया था मंदिर
कहा जाय तो रामायणकालीन स्थल दियरा हजारों वर्ष के इतिहास को अपने में समेटे हुए है। गोमती तट पर सैकड़ों वर्ष पूर्व दियरा राजा द्वारा बनवाया गया श्रीराम जानकी मंदिर का कुछ हिस्सा ग्रामीण रंगाई पोताई करवाते हैं। दियरा रियासत द्वारा बनवाया गोमती तट पर भवन व पीछे श्रीराम जानकी मंदिर स्थित है।
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