ऋषिकेश सिंह हत्याकांड के तीन दोषियों को आजीवन कारावास, कोर्ट ने लगाया 90 हजार रुपये अर्थदंड
इलाहाबाद कोर्ट ने ऋषिकेश सिंह हत्याकांड में तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। प्रत्येक दोषी पर 90 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आरोपियों को हत्या का दोषी पाया, जिससे पीड़ित परिवार को न्याय मिला है। अदालत ने माना कि आरोपियों ने मिलकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था।

जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। ऋषिकेश सिंह हत्याकांड में फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय के न्यायाधीश राकेश ने बुधवार को तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन पर 90 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड की पूरी रकम मृतक के वारिस को मिलेगी। मामले में एक आरोपित साक्ष्य के अभाव में बरी हो गया है।
पुलिस ने दोषियों इरफान उर्फ जानी, बाबुल व सौरभ मिश्र को जेल से लाकर कोर्ट में पेश किया, जहां सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई। एडीजीसी क्रिमिनल संजय सिंह व वादी के अधिवक्ता अरविंद सिंह राजा और बचाव पक्ष के वकीलों ने दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने तीनों दोषियों को सजा सुनाकर जेल भेजने का आदेश दिया।
दोषियों ने नौ फरवरी 2008 को कोतवाली नगर के सिरवारा रोड निवासी एमजीएस इंटर कालेज के पूर्व प्रिंसिपल गोरखनाथ सिंह के भतीजे ऋषिकेश सिंह उर्फ पिंटू की तलवार,तमंचा, लोहे के राड, हाकी, डंडा व क्रिकेट के बैट से हमला हत्या कर दी थी।
मृतक के बड़े भाई राकेश सिंह ने लोलेपुर निवासी इरफान उर्फ जानी, आजाद, बाबुल, सौरभ मिश्र और दो किशोर के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
मंगलवार को कोर्ट ने आरोपित इरफान उर्फ जानी, बाबुल व सौरभ मिश्र को दोषी मानते हुए जेल भेज दिया है। जबकि, आजाद उर्फ नूर मोहम्मद को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था। मामले में दो किशोर के केस की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में चल रही है।
क्रिकेट खेलने के विवाद में हुई थी हत्या
ऋषिकेश सिंह का क्रिकेट खेलने को लेकर दोषियों से विवाद हो गया था। इसी में हत्या की गई थी। सरकारी वकील संजय सिंह बताते हैं कि मृतक को 23 चोटें आई थीं। इनमें 11 हेड इंजरी थी।
दोषियों को सजा मिलने पर भाई के छलक पड़े आंसू
ऋषिकेश सिंह उर्फ पिंटू की हत्या को अंजाम देने वाले तीन दोषियों को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने सजा सुना दी। इस पर बड़े भाई राकेश सिंह के आंसू छलक पड़े। निर्णय के बाद उन्होंने रुंधे गले से बताया कि उन्हें अदालत पर भरोसा था कि न्याय मिलेगा। हालांकि, इसके लिए 17 साल इंतजार करना पड़ा।
एमजीएस इंटर कालेज के पूर्व प्रिंसिपल गोरखनाथ सिंह की कालेज में सख्त अनुशासन बनाए रखने की छवि थी। उनका मकान शहर के सिरवारा रोड पर है। यहीं पर उनके छोटे भाई शोभनाथ सिंह का भी मकान है और परिवार रहता है। गोरखनाथ के भतीजे ऋषिकेश सिंह उर्फ पिंटू इंटर मीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद स्नातक करने के लिए इलाहाबाद चले गए थे।
स्नातक की पढ़ाई करने के बाद वहीं पर वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगे थे। ऋषिकेश के बड़े भाई राकेश सिंह बताते हैं कि घटना से कुछ दिन पहले वे घर आए थे। नौ फरवरी 2008 को ऋषिकेश क्रिकेट खेलने गए थे।
क्रिकेट खेलने के दौरान उनका विवाद हो गया था। घटना के दिन ऋषिकेश उनके साथ मुहल्ले के दीप सिंह के घर गए थे। वहां से वापस लौटते समय शाम करीब सात बजे हमला किया गया था।
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