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    सुलतानपुर में बढ़ेंगी मेनका की मुश्किलें! इस दिग्गज नेता ने थामा SP का दामन; 2014 में वरुण गांधी की जीत में था अहम योगदान

    पिछली बार बसपा से सुलतानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू मंगलवार को सपा में शामिल हो गए। वर्ष 2007 में सपा के सिम्बल पर इसौली विधानसभा सीट से जीत दर्ज चन्द्रभद्र सिंह पहली बार विधायक बने थे लेकिन वह ज्यादा दिनों तक वह सपा में नहीं रह पाए। वर्ष 2009 में सपा से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए।

    By Jagran News Edited By: Riya Pandey Updated: Tue, 21 May 2024 09:15 PM (IST)
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    इस दिग्गज नेता ने थामा SP का दामन

    जागरण संवाददाता, सुलतानपुर। पिछली बार बसपा से सुलतानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक चन्द्रभद्र सिंह सोनू मंगलवार को सपा में शामिल हो गए। उन्हें लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी में शामिल कराया।

    सोनू के सपा में शामिल होने से एक ओर जहां गठबंधन प्रत्याशी को मजबूती मिलेगी, वहीं भाजपा प्रत्याशी व सांसद मेनका गांधी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कारण, दो विधानसभा क्षेत्र में भद्र परिवार का खासा प्रभाव है। साथ ही क्षत्रिय बिरादरी में भी उनकी गहरी पैठ है।

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    वर्ष 2007 में सपा के सिम्बल पर इसौली विधानसभा सीट से जीत दर्ज चन्द्रभद्र सिंह पहली बार विधायक बने थे, लेकिन वह ज्यादा दिनों तक वह सपा में नहीं रह पाए। वर्ष 2009 में सपा से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए। इसके बाद हुए उपचुनाव में वह विजयी हुए थे। वर्ष 2012 आते-आते बसपा को अलविदा कह दिया और पीस पार्टी के बैनर तले सुलतानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। इसमें हार का सामना करना पड़ा।

    2013 में बीजेपी में हुए शामिल

    बदलते राजनीतिक रुख को भांपते हुए चन्द्रभद्र सिंह वर्ष 2013 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी की जीत में उनका अहम योगदान था। इस कारण उन्होंने चन्द्रभद्र को इसौली से अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया था। इसके बाद सोनू 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बसपा में शामिल हो गए। गठबंधन में यह सीट बसपा को मिली तो पार्टी ने उन्हें चुनाव लड़ाया।

    बेहद करीबी मुकाबले में सोनू को पराजित होना पड़ा। कुछ दिनों से सोनू के भाजपा या सपा में जाने की चर्चा चल रही थी, जिस पर बुधवार को मुहर भी लग गई। सोनू के पिता स्व. इन्द्रभद्र सिंह भी विधायक थे, जिनकी हत्या कर दी गई थी। वहीं, भाई यशभद्र सिंह मोनू प्रमुख रहे चुके हैं। साथ कई विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।

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