मौसम में बदलाव होने से अस्पतालों में लगी रही लोगों की लंबी लाइन, इन बीमारियों के बढ़ रहे मरीज
दशहरा अवकाश के बाद सुल्तानपुर के मेडिकल कॉलेज में मरीजों की भारी भीड़ देखी गई जिनमें ज्यादातर बुखार सर्दी खांसी और सांस की समस्याओं से पीड़ित थे। डॉक्टरों ने बताया कि मौसम में बदलाव और प्रदूषण के कारण इन बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने लोगों को सावधानी बरतने और विशेषकर सांस के रोगियों को धूम्रपान से बचने की सलाह दी है।

संवाद सूत्र, सुलतानपुर। दशहरा की छुट्टी के बाद मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में शुक्रवार को बड़ी संख्या में मरीज उमड़ पड़े। इसमें ज्यादातर बुखार, सर्दी, खांसी व सांस से पीड़ित रहे। जनरल फिजीशियन की तीन ओपीडी में इस प्रकार के लगभग चार सौ पीड़ितों का इलाज किया गया।
वहीं, कुछ गंभीर रोगियों को भर्ती कर उन्हें ड्रिप से दवाएं चढ़ाई गईं। दोपहर 12 बजे तक पांच हजार से अधिक मरीजों का पंजीकरण हो चुका था।
न्यू चिकित्सीय विंग के प्रथम तल पर स्थित ओपीडी में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आइएस गौतम की ड्यूटी थी। कक्ष के बाहर मरीजों की लंबी लाइन लगी थी। इनमें से ज्यादातर सर्दी, खांसी व सांस फूलने की समस्या से ग्रस्त थे।
कूरेभार के दिनेश, करौंदिया की नीलम, जानकी, चौक की मिथिला, अमहट के राम आसरे, धम्मौर के सुजीत यादव, वलीपुर के कृष्ण कुमार, कुड़वार के अहसान अली समेत कई पीड़ित इलाज के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे।
चिकित्सक के अनुसार इस समय ओपीडी में बुखार, खांसी और सांस संबंधित बीमारियों से पीड़ित बढ़ गए हैं। ऐसा मौसम में बदलाव के कारण व प्रदूषण से हो रहा है। चिकित्सक के अनुसार वातावरण में नमी ज्यादा बढ़ गई है। इससे कई घातक रसायन वातावरण में स्थिर हो गए हैं।
परिणामस्वरूप यह सांस लेते समय नाक या मुंह के रास्ते सांस नली तथा फेफड़ों में पहुंच जाते हैं। डा. गौतम कहते हैं कि बदलते मौसम में सांस रोगियों को विशेष तौर पर एहतियात बरतने की जरूरत है।
चिकित्सक ने बताया कि ज्यादातर बुखार पीड़ितों में अभी वायरल के ही लक्षण मिल रहे हैं। हालांकि, कई मरीजों को डेंगू, मलेरिया या टाइफाइड होने के संदेह पर रक्त नमूने की जांच की सलाह दी जा रही है।
बरतें सावधानी
चिकित्सक के अनुसार मौसम में बदलाव को देखते हुए इस समय विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाएं। धूल-धुआं युक्त तथा ठंडे स्थानों पर यात्रा करने से बचें। भोजन ताजा व गर्म प्रयोग करें।
तैलीय व एलर्जी बढ़ाने वाले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें। एसी या बंद कमरे में ज्यादा देर न ठहरें। सीना, हाथ के पंजे व पैर के तलवे पर गुनगुने सरसों के तेल की मालिश करें। पहले से जिन मरीजों का उपचार चल रहा है, वे नियमित चिकित्सक से सलाह लेते रहें। सांस रोगी धूमपान न करें।
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