नक्शा पास करने तक सीमित विनियमित क्षेत्र, कार्रवाई पर नहीं जोर
सुलतानपुर नियोजित विकास के लिए तीन दशक से गठित विनियमित क्षेत्र विभाग उत्तरदायित्व पूरा करने

सुलतानपुर: नियोजित विकास के लिए तीन दशक से गठित विनियमित क्षेत्र विभाग उत्तरदायित्व पूरा करने में विफल है। महायोजना लागू होने के बावजूद अनियोजित विकास हो रहा है। नियमों की अनदेखी करने वालों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। नोटिस देकर मामलों को रफा-दफा कर दिया जाता है। स्थिति यह है कि विभाग नक्शा पास करने तक सिमटा है।
शहर को बेहतर बनाने और भवनों व सड़कों का निर्माण टाउन प्लानिग के मानक पर कराने के लिए 1985 में यहां मास्टर प्लान लागू किया गया। नगर पालिका सहित शहर के आसपास के 44 गांवों को इस महायोजना की सीमा में रखा गया है। इस विनियमित क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण के लिए भू उपयोग के नियम का अनुपालन और मानक के अनुरूप नक्शा पास होना अनिवार्य है। साथ ही मास्टर प्लान की तमाम शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 882 को नोटिस, कार्रवाई शून्य
तकरीबन एक साल पहले विनियमित क्षेत्र में नक्शा में कमी और सुधार बिना निर्माण कराने वाले 882 लोगों को नोटिस दिया गया। इसकी सूची विभाग और नगर पालिका में चस्पा की गई। इसे लेकर लोगों में हलचल रही, लेकिन नतीजा सिफर है। मुकदमों की भरमार
अनियमितता को लेकर नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र के न्यायालय में मुकदमों की भरमार है। 83 वाद कई वर्ष से लंबित हैं। इनमें 13 प्रकरण व्यावसायिक भवनों में नियमों की अनदेखी के हैं। इनपर अब तक फैसला नहीं हुआ है। वास्तुविद हैं न अवर अभियंता
विभाग में नक्शों को पास करने के लिए आर्किटेक्ट (वास्तुविद) का पद ही नहीं है। विभाग में पंजीकृत वास्तुविदों की ओर से बनाए गए नक्शे विभाग स्वीकार करता है। हो रहे निर्माण का निरीक्षण करने के लिए तैनात अवर अभियंता का पद बीती 31 मार्च से यहां तैनात जेई के सेवानिवृत्ति होने के बाद से रिक्त चल रहा है। अमृत योजना के तहत मास्टर प्लान का क्षेत्र जीआइएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) से जोड़ा गया है। नई महायोजना में भू उपयोग से इतर निर्माण नहीं होगा। नियोजित विकास की संभावना बढ़ेगी।
सीपी पाठक, नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र
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