..जा दिन जनम भवा उदल कै, धरती धंसी अढ़ाई हाथ
संवादसूत्र, मोतिगरपुर : महोबा के चंदेल काल के दो वीर योद्धाओं आल्हा और ऊदल के शौर्य व पर
संवादसूत्र, मोतिगरपुर : महोबा के चंदेल काल के दो वीर योद्धाओं आल्हा और ऊदल के शौर्य व पराक्रम के गीत आज भी लोगों के कानों में गूंजते हैं तो ग्रामीणांचल के लोग झूम उठते हैं। इसी कड़ी में डींगुरपुर बनकेगांव में आल्हा गायन का आयोजन किया गया।
स्व. जगन्नाथ वर्मा की स्मृति में आयोजित लोक गायन कार्यक्रम में
धनपतगंज ब्लॉक के अमऊ जासरपुर के आल्हा गायक सज्जन कुमार मिश्र और उनके साथी ओम प्रकाश दुबे व बसंत कुमार शर्मा की टीम ने नैनागढ़ की लड़ाई (आल्हा का विवाह) का जीवंत गायन कर लोगों में ऊर्जा भर दी। ऊदल के जन्म पर जब Þजा दिन जनम भवा उदल कै, धरती धंसी अढ़ाई हाथ, पुछि गोसईयां से पैदा भए, एनसे तीनौं काल डेरायÞ सुनाया तो लोगों ने जमकर तालियां बजाई। गायकों ने कजरी की तर्ज पर आल्हा गायन कर मौजूद दौर में भारतीय संस्कृति पर हो रहे हमले की प्रस्तुति खूबसूरत अंदाज में की। Þहमरी संस्कृति पै होत अहै वार बलम, जीना दुशवार बलम न।Þ सुनाया तो लोग भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बिगड़ते स्वरूप पर सोचने को मजबूर हो गए। नैनागढ़ की राजकुमारी सोना के
श्रृंगार का वर्णन करते हुए कहा-जब Þसोरहौं ¨सगार हार मोतिन कै.., सुनाया तो लोग भाव विभोर हो उठे। आयोजक रणजीत वर्मा व संयोजक रामअर्ज यादव ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।
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