17 साल बाद अभिषेक कोरी हत्याकांड में कोर्ट ने सुनाया फैसला, बस स्टेशन के पास दिनदहाड़े गोली मारकर हुई थी हत्याा
सुलतानपुर में अभिषेक कोरी हत्याकांड में 17 साल बाद कोर्ट का फैसला आया, जिसमें तीन किशोर साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए गए। 2009 में हुई इस हत्या के मामले में मृतक की माँ ने मुकदमा दर्ज कराया था। अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। वहीं, दो अन्य आरोपितों के खिलाफ सुनवाई अभी जारी है। एक अन्य मामले में, चिकित्सक घनश्याम तिवारी हत्याकांड के आरोपित कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।
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संवाद सूत्र, सुलतानपुर। अभिषेक कोरी हत्याकांड में कोर्ट ने 17 साल निर्णय सुनाया है। किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट राहुल आनंद और सदस्य रंजना श्रीवास्तव व दिनेश श्रीवास्तव ने तीन किशोर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्रनाथ मिश्र के मुताबिक जिला महिला अस्पताल की वार्ड आया राजकुमारी के पुत्र अभिषेक कोरी की 22 जनवरी 2009 को बस स्टेशन के पास दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
मृतक की मां ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। मामले में आरोपित कोतवाली नगर के घरहा खुर्द गांव के तीन किशोर के विरुद्ध किशोर न्याय बोर्ड में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से पांच गवाह पेश किए गए, लेकिन आरोप साबित नहीं हो पाया। कोर्ट ने घटना के समय नाबालिग रहे (अब बालिग) एहसान, मो.आदिल व आजाद अहमद को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
दो आरोपित की चल रही सुनवाई
अभिषेक कोरी हत्याकांड में दो आरोपित फैसल व तस्लीम के विरुद्ध एडीजे द्वितीय की कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बचाव पक्ष के अधिवक्ता जितेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि मामले में विवेचक की गवाही होनी है।
चिकित्सक हत्याकांड में हाजिर नहीं हुए आरोपित
चिकित्सक घनश्याम तिवारी हत्याकांड के मामले में आरोपित अजय नारायण सिंह व दीपक सिंह कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरविंद सिंह राजा ने बताया कि एडीजे प्रथम संतोष कुमार ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 नवंबर की तिथि तय की है। 23 सितंबर 2023 को डॉक्टर घनश्याम तिवारी की हत्या कर दी गई थी। मामले में नरायनपुर गांव के अजय नारायण सिंह व मायंग गांव के दीपक सिंह के विरुद्ध कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
विवेचक केस डायरी के साथ कोर्ट में तलब
जानलेवा हमले के मामले में सीजेएम नवनीत सिंह ने विवेचक अशोक कुमार चौरसिया को केस डायरी के साथ कोर्ट में तलब किया है। मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता रवि शुक्ल ने बताया कि धम्मौर थाने के बहलाेलपुर निवासी अजय द्विवेदी ने बीते सात अगस्त को शहर के लक्ष्मणपुर मुहल्ले के अंकुर तिवारी, अंकुश तिवारी, विकास मिश्र व शनि श्रीवास्तव के विरुद्ध जानलेवा हमले का मुकदमा कोतवाली नगर में दर्ज कराया था।
आरोप है कि अजय द्विवेदी की दुकान के सामने शराब पीने से मना करने पर आरोपितों ने उन्हें हाकी, लोहे के राड व पिस्टल की बट से मारकर घायल कर दिया था। पुलिस की ओर से कार्रवाई न होने पर पीड़ित ने कोर्ट में मानीटरिंग प्रार्थना पत्र दिया है।
गवाही देने नहीं आए सेवानिवृत्त डीआईजी 
38 वर्ष पूर्व सीबीसीआइडी लखनऊ के अभियोजन अधिकारी सुरेशचंद्र अग्निहोत्री की हुई हत्या के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह रहे सेवानिवृत्त डीआईजी सुशील कुमार सिंह गवाही देने नहीं नहीं आए। मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।
सरकारी वकील पवन दुबे ने बताया कि अभियोजन अधिकारी रहे सुरेशचंद्र अग्निहोत्री गोसाईगंज थाने में दर्ज 134 किलोग्राम अफीम बरामद होने के केस में पैरवी के लिए दारोगा इम्तियाज अहमद के साथ 28 फरवरी 1987 को सुलतानपुर के सीजेएम कोर्ट आए थे।
गवाही न होने पर वे गोसाईगंज थाने में रुक गए थे। उनकी हत्या कर शव कोतवाली देहात थाने के नेकराही गांव के कुएं में फेंक दिया गया था। मामले में बाराबंकी जिले के भीतरी पीट बतावन निवासी हफीज, मुहम्मदपुर निवासी गुलाम मुस्तफा उर्फ मिज्जन, सुलतानपुर के व्यापारी संतलाल जायसवाल व दारोगा इम्तियाज अहमद आरोपित किए गए थे।

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