एसटीपी पर 36 करोड़ रुपये खर्च, नतीजा सिफर
गोमती के जल को प्रदूषित कर रहा चार नालों का पानी।

संवादसूत्र, सुलतानपुर : आदि गंगा गोमती को प्रदूषण से बचाने के उपाय तीन साल बाद भी कारगर नहीं हुए। ऐसा तब है जबकि इस पर 36 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) का काम कछुआ चाल होने की वजह से यह स्थिति बनी है। ऐसे में प्रदूषित पानी सीधे में नदी में जा रहा है।
बन रहे हैं 17 एमएलडी क्षमता के प्लांट
दूषित पानी को साफ करने के लिए 17 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता के तीन एसटीपी की स्थापना हो रही है। हथियानाला, गभड़िया, और करौंदिया नालों पर यह काम गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई की ओर से किया जा रहा है। अब तक 50 प्रतिशत भी कार्य नहीं हो सका। राजीव रस्तोगी, विनय प्रकाश, अजीत यादव, रवी अग्रवाल और प्रताप सिंह का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। जिला प्रशासन और शासन को जिम्मेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने की थी पहल
गोमती एक्शन प्लान के तहत यहां के नालों पर 64 करोड़ की लागत से एसटीपी स्थापित करने की कार्ययोजना बनाई गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से इसके लिए बजट दिया गया। दिसंबर 2018 में कार्य शुरू हुआ, जो अबतक पूरा नहीं हो सका।
यह है कार्ययोजना
परियोजना के तहत हथियानाला पर बने पांच एमएलडी के निष्प्रयोज एसटीपी को दस एमएलडी में परिवर्तित करने, गभड़िया पांच व करौंदिया नाले पर पलहीपुर में दो एमएलडी क्षमता का एसटीपी स्थापित होना है। ऐसा होने से नालों का गंदा पानी सीधे नदी में नहीं जाएगा। प्रदूषण नियंत्रित करने में मदद मिलेगा।
परियोजना के आधारभूत कार्य पूरे कर लिए गए हैं। गभड़िया और करौंदिया नालों पर तेजी से काम शुरू किया जा रहा है। जल्द ही तीनों एसटीपी सक्रिय हो जाएंगे।
राजेश कुमार, अधिशासी अभियंता, गोमती प्रदूषण नियंत्रण इकाई (प्रथम)

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