तालाब में ऑक्सीजन की कमी, मछलियों पर संकट
सुलतानपुर : मत्स्य पालक सावधान हो जाएं। कहीं जरा सी लापरवाही उन्हें लाखों व हजारों रुपये का नुकसान
सुलतानपुर : मत्स्य पालक सावधान हो जाएं। कहीं जरा सी लापरवाही उन्हें लाखों व हजारों रुपये का नुकसान न पहुंचा दे। क्योंकि कड़ाके की ठंड मछलियों के लिए बेहद खतरनाक है। सर्द मौसम का मछलियों पर प्रभाव और उसके रोकथाम पर'जागरण'ने शनिवार को मत्स्य प्रभारी बीएन तिवारी से बातचीत की। प्रस्तुत है एक रिपोर्ट..
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मतस्य प्रभारी बीएन तिवारी ने बताया कि जिले में व्यापक पैमाने पर ग्राम सभाओं में मछलियों का पालन किया जा रहा है। सर्द मौसम एवं कोहरा मछलियों के लिए हानिकारक है। इससे तालाबों में पाली गईं मछलियों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। धूप न निकलने के कारण पानी में ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है। क्योंकि तालाबों में सूर्य की रोशनी से ही ऑक्सीजन पानी में घुलित होता है। जिससे मछलियां अपने गलफड़ों के माध्यम से तालाब के पानी में घुलित ऑक्सीजन से सांस लेती हैं। अधिक ठंड एवं ऑक्सीजन क कमी से मछलियों में विभिन्न प्रकार के रोग फैलने लगते हैं। मत्स्य पालकों को जागरूक होने की जरूरत है।
इनसेट..: इन रोगों की चपेट में आती हैं मछलियां अधिक ठंड एवं ऑक्सीजन की कमी से मछलियों में अल्सरेटिव ¨सड्रोम वायरस रोग फैलना प्रारंभ हो जाता है। जिसके फलस्वरूप मछलियों के शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना चालू हो जाते हैं। पंख के किनारे सड़न पैदा होने लगता है। इससे मछलियों की मौत भी होती है और उनका विकास ठप हो जाता है।
इनसेट..: ऐसे करें बचाव मत्स्य प्रभारी तिवारी ने मत्स्य पालकों को सलाह दी है कि वे अपने तालाबों में पांच ¨क्वटल प्रति हेक्टेयर की दर से चूना व एक्वा हेल्थ एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। पानी में अत्यधिक ऑक्सीजन की कमी होने पर ऑक्सीटैब एवं ऑक्सीरिच तालाब में डाले। जिससे पानी में शुद्धता एवं ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहे। इसके अलावा रोगग्रस्त मछलियों को पानी में इकट्ठा करके उसमें पोटैशियम परमैगनेट कम से कम 500 ग्राम का घोल बनाकर डालने से भी रोग दूर किया जा सकता है।
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