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    जल्द चालू होंगी पत्थर व बालू की खदानें

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 11 Jan 2020 09:27 PM (IST)

    जिले के हजारों खनन बेरोजगारों के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं। शासन स्तर पर जिले के छह चिन्हित गांव जहां पर खनन कार्य संचालित होता है वहां की भूमि को ले ...और पढ़ें

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    जल्द चालू होंगी पत्थर व बालू की खदानें

    जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले में खनन से जुड़े हजारों बेरोजगारों के अच्छे दिन आने वाले हैं। शासन स्तर पर जिले के छह चिह्नित गांव जहां पर खनन कार्य संचालित होता है वहां की भूमि को लेकर मचे विवाद का पटाक्षेप होने वाला है। सूत्रों के अनुसार इन जगहों पर जनवरी के अंत तक धारा 20 का प्रकाशन हो जाएगा। खनन विभाग के अनुसार खनन क्षेत्र के अच्छे दिन जल्द आने वाले हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार बिल्ली-मारकुंडी, बरदिया-सिदुरिया, अगोरी खास, ससनई व बरहमोरी में धारा 20 के प्रकाशन को लेकर लगभग सभी जरूरी कार्यों को पूरा कर लिया गया है। विभागीय सूत्रों ने जनवरी के अंत तक धारा 20 का प्रकाशन होने की भी संभावना जताई है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इन जगहों पर धारा 20 के प्रकाशन से लगभग 60 से अधिक खदानों का संचालन प्रारंभ हो जाएगा। इसमें सबसे अधिक खदानें पत्थर व 13 के आसपास बालू की खदानें संचालित होंगी। 50 पत्थर खदानें होंगी संचालित

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    खनन निरीक्षक जीके दत्ता ने बताया कि बिल्ली-मारकुंडी, बरदिया व सिदुरिया में धारा 20 का प्रकाशन अपने अंतिम चरण में है। यहां पर डोलो स्टोन पत्थर की बहुतायत है। बताया कि अगर धारा 20 का प्रकाशन होता है तो निश्चित रूप से 50 से अधिक नए पत्थर खदानों के खुलने का राह आसान हो जाएगा। दत्ता ने बताया कि इसी तरह अगोरी खास, ससनई व बरहमोरी में धारा 20 के प्रकाश होने से बालू की कम से कम 13 खदानें खुल जाएंगी, जिससे पूर्वांचल में बालू व गिट्टी की कमी पर प्रभावी अंकुश लग जाएगा। खदानें बंद होने से विकास कार्य प्रभावित

    सोनभद्र जनपद में खनन कार्य रोजगार व राजस्व का प्रमुख कारक रहा है। पिछले कई वर्षों के दौरान बंदी के मार के कारण जहां एक तरफ हजारों श्रमिक बेरोजगार हो गए तो वहीं राजस्व वसूली पर भी इसका सीधा असर हुआ है। सूत्रों के अनुसार जिले से शासन को प्रति वर्ष एक हजार पांच करोड़ रुपये राजस्व वसूली के रूप में प्राप्त होता है, जिसमें खनन का अंशदान बड़ा होता है। वहीं दूसरी ओर प्रतिवर्ष 150 करोड़ रुपये डीएमएफ फंड के रूप जिले के विकास को प्राप्त होता है। खनन बंद होने से यह राशि पिछले काफी समय से प्रभावित रहा है, अब जब खनन क्षेत्र दोबारा गुलजार होगा तो निश्चित रूप से डीएमएफ फंड के पैसे से जिले का विकास भी गति पकड़ेगा। क्या है धारा 20 व चार

    भारतीय वन अधिनियम की धारा चार के तहत सरकार किसी भूमि को वन क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव दे सकती है। वहीं अधिनियम की धारा 20 के तहत वो भूमि अंतिम तौर पर वन क्षेत्र घोषित कर दी जाती है। आदेश मिलते ही काम होगा चालू

    निर्धारित ग्राम पंचायतों में धारा 20 के प्रकाशन को लेकर जैसे ही शासन से हरी झंडी मिलती है, वैसे ही खनन क्षेत्र को बहाल करने के लिए काम शुरू कर दिया जाएगा। फरवरी के प्रारंभ तक खनन क्षेत्र के लिए कुछ बेहतर आदेश आने की पूरी उम्मीद है।

    - जीके दत्ता, खान निरीक्षक।