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    सोनभद्र पंप स्टोरेज परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी रद, ऊर्जा योजना को झटका

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Tue, 14 Oct 2025 12:12 PM (IST)

    सोनभद्र में पंप स्टोरेज परियोजना द्वारा उत्तर प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की योजना 2023 में बनी थी, जिसे 2030-32 तक पूरा करने का लक्ष्य था। पर्यावरणीय चिंताओं के कारण भारत सरकार ने इस परियोजना को रद्द कर दिया, जिससे 32970 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता प्रभावित हुई। इस परियोजना से औद्योगिक विकास और रोजगार की उम्मीदें थीं।

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    परियोजना धरातल पर उतर जाती तो जनपद में बिजली उत्पादन क्षमता 32970 मेगावाट की हो जाती।

    प्रशांत शुक्ल, सोनभद्र। उत्तर प्रदेश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए जनपद में पंप स्टोरेज परियोजना संचालित करने की रूपरेखा वर्ष 2023 में बनी थी। योजना को पूूरा करने के लिए 2030-32 तक का समय भी निर्धारित किया गया था। परियोजना को पूरा करने के लिए प्रोजेक्ट को मंजूरी, जगह चिह्नित होने और मृदा परीक्षण समेत पर्यावरणीय अनुमति सबसे जरूरी विषय था।

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    हालांकि भारत सरकार ने पर्यावरण विशेषज्ञ के चेतावनी के बाद लिया गया है। अगर परियोजना धरातल पर उतर जाती तो जनपद में बिजली उत्पादन क्षमता 32970 मेगावाट की हो जाती।

    जिले में इस समय 2630 मेगावाट की अनपरा परियोजना, 2320 मेगावाट की ओबरा परियोजना, 1200 मेगावाट की लैंको परियोजना, 5000 मेगावाट की एनटीपीसी की रिहंद और सिंगरौली सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन शक्तिनगर, 1260 मेगावाट के रेणुसागर पावर प्रोजेक्ट से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। इसके अलावा 300 मेगावाट का रिहंद और 99 मेगावाट का ओबरा जल विद्युत गृह स्थापित है। कुल 12809 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं से प्रतिदिन 11 से 12 हजार मेगावाट बिजली पैदा की जा रही है।

    यहां स्थापित किए जाने थे पावर प्लांट
    सोन नदी किनारे बैजनाथ में 3600 मेगावाट, सोमा में 2400 मेगावाट, ससनई में 1750 मेगावाट, चेरूई में 1680 मेगावाट, चिचलिक में 1560 मेगावाट, झरिया में 1620 मेगावाट, पनौरा में 1500 मेगावाट, झारखंड से सटे बसुहारी में 1200 मेगावाट का पंप स्टोरेज पावर प्लांट स्थापित किए जाने थे।

    बरसात के समय सोन नदी में बारिश और बाढ़ के आने वाले पानी को पंप के जरिए तीन स्टेज वाले बांध में एकत्रित किया जाता। बांध में एकत्रित पानी के जरिये टरबाइन चलाकर जरूरत के अनुसार बिजली पैदा की जाएगी। सोन नदी के किनारे जिन जगहों पर पावर प्लांट स्थापित होने हैं, वह क्षेत्र औद्योगिक विकास से अछूता है। पावर प्लांट लगने के बाद यहां विकास के साथ साथ रोजगार भी उपलब्ध होगा।