सोनभद्र के बिल्ली मारकुंडी में खदान हादसा, एक की मौत; 15 मजदूरों के मलबे में दबे होने की आशंका
सोनभद्र के बिल्ली मारकुंडी में कृष्णा माइनिंग वर्क्स की पत्थर खदान धंसने से एक मजदूर की मौत हो गई और 15 के मलबे में दबे होने की आशंका है। ड्रिलिंग के दौरान हुए हादसे के बाद खदान मालिक फरार हैं। प्रशासन, पुलिस और बचाव दल मौके पर हैं, और एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमें भी बुलाई गई हैं। अंधेरे के कारण बचाव कार्य में देरी हो रही है।

जागरण संवाददाता, सोनभद्र। बिल्ली मारकुंडी में शनिवार को दोपहर बाद करीब तीन बजे कृष्णा माइनिंग वर्क्स कंपनी की पत्थर खदान धंस गई। हादसे में फिलहाल एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि 15 लोगों के खदान के मलबे में दबे होने की आशंका है। हालांकि मृतक की पहचान नहीं हो सकी है।
चर्चा है कि यह हादसा खदान में ड्रिलिंग कार्य के दौरान हुआ। नौ कंप्रेशर मशीन से ड्रिलिंग का कार्य हो रहा था और प्रत्येक पर दो-दो मजदूर लगाए गए थे। इस तरह खदान हादसे के दौरान कुल 18 मजदूर कार्य कर रहे थे। घटना के बाद खदान स्वामी और पार्टनर वहां से फरार हो गए।
जानकारी पर समाज कल्याण राज्यमंत्री संजीव सिंह गोंड, भाजपा जिलाध्यक्ष नंदलाल, जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह, पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा के साथ ही प्रशासन, पुलिस, खनन और फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंच गई है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया है।
अंधेरा होने के कारण शाम सवा सात बजे तक मलबे में लोगों की तलाश शुरू नहीं हो सकी है। ओबरा तापीय परियोजना, दूसान कंपनी व अल्ट्राटेक से प्रशासन ने मदद मांगी है। हादसे से बच निकले पनारी ग्राम पंचायत के करमसार निवासी छोटू यादव ने जानकारी दी है कि उसके दो सगे भाई इंद्रजीत यादव और संतोष यादव भी मलबे में दबे हैं।
जबकि पनारी के प्रधान लक्ष्मण प्रसाद यादव ने बताया कि खड़री टोला के भी रामखेलावन, अशोक और कृपाशंकर मजदूरी करने खदान में आए थे जिनका अब तक पता नहीं चल सका है। मौके पर चींख पुकार मची हुई है। पुलिस ध्वनि विस्तारक यंत्र से लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने और सहयोग की अपील कर रही है।
जिलाधिकारी बद्रीनाथ सिंह ने बताया कि खदान हादसा हुआ है। कितने लोग मलबे में दबे हैं, इसका पता नहीं चल सका है। सर्च अभियान शुरू कर दिया गया है। दुर्घटना कैसे हुई इसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी। अभी तक एक मजदूर का शव मिला है। उसकी पहचान नहीं हो पाई है। खदान गहरी और अंधेरा होने के नाते रेस्क्यू में समस्या आ रही है। खदान वर्ष 2026 तक वैध है।

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