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    Sonbhadra Mine Accident: सोनभद्र खदान हादसे में मृतकों की संख्या बढ़ी, कुल पांच मजदूरों की मौत की पुष्टि

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 09:43 AM (IST)

    सोनभद्र के ओबरा में खदान हादसे में पांच मजदूरों के शव बरामद हुए हैं, जिनमें दो सगे भाई भी शामिल हैं। रविंद्र की पहचान उनकी पत्नी ने की। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सीआईएसएफ की टीमें बाकी मजदूरों की तलाश में जुटी हैं। शनिवार को ड्रिलिंग के दौरान चट्टान धंसने से यह हादसा हुआ, जिसमें 15 मजदूर दब गए थे। दुर्घटनास्थल पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है और मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं।

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    खदान हादसे में बचाव का काम चलता हुआ। जागरण

    जागरण संवाददाता, सोनभद्र। ओबरा के बिल्ली मारकुंडी खदान क्षेत्र में शनिवार को ड्रिलिंग के दौरान हुए हादसे के दो दिन बाद पांच मजदूरों के शव बरामद कर लिये गए। मृतकों में ओबरा थाना क्षेत्र के परसोई ग्राम पंचायत के अमरिनिया टोला निवासी राजू सिंह गोड़ का शव रविवार को ही बरामद हो गया था।

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    सोमवार की सुबह पनारी ग्राम पंचायत के करमसार टोला निवासी दो सगे भाई संतोष यादव व इंद्रजीत यादव, कोन थाना क्षेत्र के कचनरवा गांव निवासी रविंद्र उर्फ नानक पुत्र राजकुमार का शव आया। रविन्द्र के शव की पहचान उसकी पत्नी गीता देवी ने की। घटनास्थल से शव पोस्टमार्टम हाउस में भेजकर पहचान कराई गई। अभी एक शव की पहचान नहीं हो सकी है। यहां सीओ सिटी रणधीर मिश्र के अगुआई में फोर्स तैनात है।

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    पोस्टमार्टम हाउस में आए चार शव, तीन की हुई पहचान

     

    पोस्टमार्टम हाउस के अंदर किसी भी बाहरी व्यक्ति को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। सिर्फ मृतकों की पहचान के लिए उनके स्वजन को ही भेजा जा रहा है। मलबे में दबे 10 मजदूरों का अभी तक पता नहीं चल सका है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व सीआईएसएफ के करीब 100 से अधिक जवान रेस्क्यू कर रहे हैं।


    एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सीआईएसएफ के 100 से अधिक जवान कर रहे रेस्क्यू

     

    बता दें कि हादसा शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे हुआ जब ब्लास्टिंग के लिए कृष्णा माइनिंग वर्क्स कंपनी की पत्थर की खदान में होल बनाने के लिए ड्रिलिंग का काम चल रहा था। नौ कंप्रेशर मशीनों पर 18 मजदूर काम कर रहे थे। उसी समय एक तरफ से चट्टान धंस गई और मलबा करीब 150 फीट नीचे आ गिरा। तीन मजदूर तो बचकर बाहर आ गए, लेकिन शेष 15 लापता हो गए। इसके बाद बचाव कार्य शुरू किया गया।

     

    भारी मलबा और अंधेरा बना रोड़ा

     

    शनिवार की रात लगभग आठ बजे से ही वाराणसी से एनडीआरएफ की टीम भी घटनास्थल पर पहुंच गई। हालांकि भारी मलबा, खदान के 150 से 200 फीट गहरा होने और अंधेरे के कारण बचाव कार्य में अपेक्षित गति नहीं आ सकी। रविवार को सुबह 100 से अधिक जवानों के साथ एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सीआइएफ की टीम रेस्क्यू में जुटी है। एक बड़ा पत्थर गिर जाने के कारण उसे तोड़कर हटाने में समय लग रहा है।

     

    एसपी ने दी जानकारी

     

    एसपी अभिषेक वर्मा ने बताया कि दुर्घटनास्थल अति संवेदनशील है, इसलिए आम जनता या बाहरी लोगों का आवागमन सुरक्षा कारणों से बंद किया गया है, ताकि भीड़ के कारण कोई नया हादसा ना हो। जिलाधिकारी बीएन सिंह ने कहा कि पत्थर हटने के बाद ही दबे हुए श्रमिकों के बारे में सही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं। दुर्घटना के कारणों और जिम्मेदारों का जल्द ही पता लगाया जाएगा।