कुरकुरे के लिए मां ने पीटा तो बच्चे ने पुलिस को 112 पर मिला दिया फोन, पुलिस घर देने पहुंच गई, देखें वीडियो...
सिंगरौली में एक 10 वर्षीय बालक ने अपनी मां से कुरकुरे के लिए 20 रुपये मांगे तो मां ने उसे पीटा। बालक ने 112 पर कॉल करके शिकायत की। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बच्चे को कुरकुरे और चिप्स खिलाकर शांत किया। पुलिस के मानवीय दृष्टिकोण की सराहना की जा रही है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जनपद के खुटार चौकी क्षेत्र के चितरबई निवासी एक 10 वर्षीय बालक ने अपनी मां से कुरकुरे के लिए 20 रुपये मांगे, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मां ने गुस्से में उसकी पिटाई कर दी।
मां द्वारा पिटाई की इस घटना से क्षुब्ध होकर बालक ने मां की शिकायत करने के लिए पुलिस हेल्पलाइन 112 पर कॉल किया। पुलिस ने बच्चे की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंचकर उसे कुरकुरे और चिप्स खिलाकर शांत किया। यह घटना बुधवार को हुई। वहीं पुलिस के मानवीय दृष्टिकोण की लोग सराहना भी कर रहे हैं।
देखें वीडियो :
#सोनभद्र सिंगरौली पुलिस को बच्चे ने फोन करके बताया कि कुरकुरे मांगने पर मां ने उसे पीट दिया है। इसपर पुलिस ने ध्यान से बच्चे की बात सुनी और उसके घर जाकर कुरकुरे और चिप्स का तोहफा दिया। pic.twitter.com/SXlP1ogplE
— Abhishek sharma (@officeofabhi) October 4, 2025
खुटार चौकी प्रभारी शीतल यादव ने बताया कि डायल 112 पर एक बच्चे का कॉल आया था। बच्चे ने शिकायत की कि उसकी मां और बहन ने उसे रस्सी से बांधकर पीटा है। मौके पर पहुंचे प्रधान आरक्षक अरविंद कुमार ने बच्चे से पूछताछ की। बच्चे ने मासूमियत से बताया कि उसने चिप्स और कुरकुरे खाने के लिए 20 रुपये मांगे थे, लेकिन पैसे नहीं दिए गए और उसे बांधकर पीटा गया।
प्रधान आरक्षक ने कॉल को ट्रेस किया और तुरंत लोकेशन पर पहुंचे। उनके द्वारा बच्चे को कुरकुरे और चिप्स दिए गए, जिससे बच्चा खुश हो गया। पुलिस कर्मियों ने बच्चे को समझाया कि उसे अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए।
यह घटना न केवल बालक के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर संदेश है। बच्चों के प्रति हिंसा और दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जो चिंताजनक है। ऐसे मामलों में पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और बच्चों के प्रति संवेदनशीलता आवश्यक है।
पुलिस ने इस मामले में आगे की कार्रवाई न करने का आश्वासन दिया है। बताया कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करना अभिभावाकों और समाज की जिम्मेदारी है। इस घटना ने यह भी दर्शाया कि बच्चों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए परिवार को पहल करना चाहिए।
इस प्रकार की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हमें अपने बच्चों के साथ संवाद स्थापित करना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझना चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों के प्रति अधिक संवेदनशील रहें और उन्हें प्यार और सुरक्षा का अनुभव कराएं।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि समाज में बच्चों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों और किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठा सकें। यह घटना न केवल एक बालक की कहानी है, बल्कि यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी है कि हमें बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना और निभाना चाहिए।
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