Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    शिव-पार्वती विवाह की झांकी ने मोहा मन

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 24 Jan 2018 08:21 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : जीवन में चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति के लिए

    शिव-पार्वती विवाह की झांकी ने मोहा मन

    जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : जीवन में चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति के लिए विवाह संस्कार होता है। जहां दो आत्माएं एक-दूसरे के लिए अपना समर्पण करती हैं। इसके साथ ही सभी सफल पुरुषों के पीछे नारियों का ही सहयोग रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उक्त बातें रेनूसागर आवासीय परिसर स्थित श्याम सेवा मंडल प्रांगण में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा एवं ज्ञानयज्ञ के दौरान कथावाचक आचार्य पंडित राजकिशोर शास्त्री ने कही। इस दौरान शिव पार्वती की मनमोहक झांकी सजाई गई जिसने सभी का मन मोह लिया। वहीं कथावाचक ने सृष्टि वर्णन, सती प्रसंग और शिव-पार्वती विवाह का बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया। उन्होंने बताया जब पिता दक्ष के यहां सती ने भगवान शिव का अपमान देखा तो क्रोधित होकर अग्नि में अपनी आहूति दे दी। भगवान शिव को जब जानकारी हुई तो क्रोध में तांडव कर यज्ञ को नष्ट कर दिया। सती ने मरते समय शिव से यह वर मांगा कि हर जन्म में आप ही मेरे पति हों। इसी कारण सती ने हिमाचल के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वतीजी ने शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या आरंभ की लेकिन शिव को सांसारिक बंधनों में कदापि रूचि नहीं थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। कथा के दौरान शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग को सुन सभी भक्त भाव विभोर हो गए। आचार्य संतोष चतुर्वेदी, मयंक श्रीवास्तव, विनय वाजपेयी, विकाश दुबे, पं. रामयश पांडेय, विकास अग्रवाल, दयानंद हिम्मतरामका, डा.आरएस शर्मा, नरेश शर्मा, दारा ¨सह, अरविंद ¨सह, अरुण ¨सह आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।