200 मेगावाट वाली इकाइयों का जीर्णोद्धार बना सिरदर्द
जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली इकाई के अनु

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : प्रदेश की सबसे पुरानी 200 मेगावाट वाली इकाई के अनुरक्षण एवं मरम्मत (आरएंडएम) हो जाने के बाद इस इकाई में विशिष्ट तेल एवं कोयले की प्रति यूनिट खपत कम हो जाएगी। इस इकाई के चालू होने से प्रदेश को सस्ते दरों पर प्रतिवर्ष 1480 मिलियन यूनिट से ज्यादा बिजली मिल सकेगी। इकाई के चालू होने पर आरएंडएम पर खर्च की गई राशि की रिकवरी लगभग चार वर्ष में हो जाएगी, साथ ही प्रदेश की जनता को सस्ते दर पर 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने में भी मदद मिलेगी। इस इकाई के चालू होने से उत्पादन निगम को प्रति वर्ष लगभग 138 करोड़ की आए होती। लेकिन ओबरा तापीय परियोजना की इस 13 वीं इकाई के आरएंडएम में हो रही देरी के कारण लगातार अनुरक्षण का खर्च बढ़ता जा रहा है। केंद्र सरकार ने इन इकाइयों को बंद करने की तिथि 31 दिसंबर 2025 तय कर दी है। ऐसे में इस इकाई का अनुरक्षण घाटे का सबब बनने की संभावना बन गयी है। फिलहाल उत्तर प्रदेश स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के मुताबिक आगामी 20 दिसंबर तक इकाई के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा होना है। अभी तक कई तिथि परिवर्तन के कारण आशंका बनी हुई है। पांच इकाइयों के जीर्णोद्धार वाली यह योजना शुरू से लेटलतीफी का शिकार रही है। इस इकाई को मार्च 2018 में अनुरक्षण और मरम्मत के लिए बीएचईएल (भेल) को सौंपा गया था। इस इकाई के आरएण्डएम पूरा होने की तिथि जून 2019 रखी गयी थी, लेकिन 14 अक्टूबर 2018 को हुए अग्निकांड में 13वीं इकाई को भी भारी नुकसान पहुंचा था। इसके कारण इस इकाई के आरएंडएम पूरा होने की तिथि जून 2019 से बढ़ाकर मई 2020 करनी पड़ी। बाद में इसे एक माह पहले 15 अप्रैल 2020 तक सिक्रोनाइज करने का लक्ष्य तय कर दिया गया था। 13 वीं इकाई को इसी वर्ष बीते सितंबर, जुलाई एवं अप्रैल 2021 में भी सिक्रोनाइज करने का लक्ष्य रखा गया था। बीते 26 अगस्त को ओबरा आए प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवं चेयरमैन, राज्य विद्युत उत्पादन निगम एम देवराज ने भी 13 वीं इकाई को सितंबर में सिक्रोनाइज करने का निर्देश दिया था। इस इकाई के बंद होने से सभी कामन आक्जलरी के खर्च के साथ-साथ हास्पिटल, स्कूल, सीआइएसएफ, कालोनी मेंटेनेंस इत्यादि से संबंधित समस्त खर्च का भार उपलब्ध शेष चार इकाइयों पर आ रहा है। 12 वर्ष में नहीं पूरा हो पाया अनुरक्षण
ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों के जीर्णोद्धार की योजना के तहत बीएचईएल को मई 2006 में आशय पत्र निर्गत किया गया। इस योजना की मूल लागत रुपये 702.14 करोड़ थी। योजना की जीरो तिथि 20 जून 2006 थी। योजना का कार्य जीरो तिथि से 30 माह में 31 दिसंबर 2008 तक पूर्ण होना प्रस्तावित था। लेकिन अत्याधिक देरी के कारण बढ़े अतिरिक्त कार्य से योजना की पुनरीक्षित लागत 958.75 करोड़ रूपये बढ़कर 2660.89 करोड़ तक पहुंच चुकी है। अभी तक चार इकाइयों का आरएंडएम पूरा होने के बाद उनसे उत्पादन जारी है। ओबरा परियोजना की 13वीं इकाई में टरबाइन मरम्मत का कार्य भेल द्वारा किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि तय तिथि पर इकाई को सिक्रोनाइज किया जा सके।
- इ. दीपक कुमार, सीजीएम ओबरा तापीय परियोजना।

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