पर्यटनस्थलों के विकास पर जनप्रतिनिधियों से संतुष्ट नहीं आमजन
सोनभद्र जनपद में दर्जनों ऐसे स्थल हैं जिसका विकास हो जाए तो विदेशी पर्यटक आएंगे। इसके लिए जनपद के विभिन्न वर्गो ने भी आवाज बुलंद की है।
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कामन इंट्रो
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जनपद सृजन के 29 साल बीत गये। इसके बाद से जिले में काफी बदलाव हुआ। सड़कें चकाचक हुईं, कल-कारखानों की स्थापना हुई। रोजी-रोजगार के भी अवसर बढ़े लेकिन यदि कुछ नहीं बढ़ा तो पर्यटन के क्षेत्र में। हालांकि जिला प्रशासन ने इसके विकास की पहल शुरू कर दी है लेकिन अब तक रहे जनप्रतिनिधियों ने इसके लिए क्या किया यह सवालों के घेरे में है। अब लोगों के जेहन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिरकार केंद्र व प्रदेश में जब एक ही पार्टी की सरकार है तो क्यों पर्यटन का विकास शून्य है। जागरण ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि प्रतिनिधियों के पर्यटन के क्षेत्र में किये गये अब तक के कार्यों से आमजन असंतुष्ट है।
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जागरण संवाददाता, सोनभद्र: जनपद में दर्जनों ऐसे स्थल हैं। जिसके विकास की जरूरत है। यहां से लाखों रुपये के राजस्व प्राप्त करने की संभावनाएं हैं। जहां से अभी एक भी रुपये आय के रूप में प्राप्त नहीं होते। इसे लेकर लोगों में असंतुष्टता है कि आखिर इनके विकास के लिए क्यों नहीं पहल की जा रही है। एक ओर जहां जनप्रतिनिधि अपने-अपने प्रस्ताव भेजने की बात कह रहे हैं वहीं शिक्षक, वकील व छात्रों के विचार ठीक उनके उलट हैं। उनका मानना है कि केंद्र व प्रदेश में जब एक पार्टी की सरकार है तो किस बात की देरी। जबकि हर बार दोनों ही स्तरों पर अलग पार्टियों की सरकार होने का दु:खड़ा रोया जाता रहा है। एक वाक्य में यूं कहें कि जनपद के पर्यटन स्थलों का विकास कागज की नाव पर सवार होकर नदी पार करने चला है।
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प्रकृति की अनुपम धरोहर सोनभद्र में
मारकुण्डी पहाड़ी स्थित सोन इको प्वाइंट, धंधरौल बांध, सलखन स्थित फासिल्स पार्क, घोरावल तहसील अंतर्गत मुक्खा फाल, दुद्धी के जोरकहूं और रिहंद बांध ये सोनभद्र जनपद के ऐसे स्थल हैं जहां की सुंदरता अनुपम है। प्राकृतिक रूप से ऐसी सुंदरता कमोवेश प्रदेश में तो नहीं ही है। हां ऐसे स्थलों के साथ उपेक्षा भी अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलेगी। इसके साथ ही भक्ति भाव का महीना सावन में जिले के प्रसिद्ध शिवालयों जैसे मछंदरनाथ, गड़ौरा शिव मंदिर, शिवद्वार, गौरीशंकर भी अपने आप में महत्वपूर्ण हैं। सुंदरता को लगी बददुआ
मुक्खाफाल घोरावल के पास सोनभद्र जिले में स्थित है। यहां पहाड़ियों के बीच झरने का ²श्य देखते ही बनता है। यह फाल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां की दुर्गम पहाड़ियां, पहाड़ों से गिरते झरने पर्यटकों को दूसरी जगह जाने नहीं देते। यहां का बेहद खूबसूरत वॉटर फॉल दूसरी जगह कम ही देखने को मिलता है। लेकिन, जनाब यहां की वर्तमान स्थिति आपको को व्याकुल कर देगी लेकिन इस स्थल की उदासीनता को कोसे बगैर नहीं रहेंगे।
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क्या बोले जनप्रतिनिधि..
दुनिया के पर्यटकों को बुलाना होगा मकसद
उत्तराखंड अलग होने के बाद मीरजापुर-सोनभद्र ही दो जिले ऐसे हैं, जहां पर पर्यटन स्थलों की भरमार है। इस क्षेत्र को विकसित करने का पूरा प्रयास किया जायेगा। व्यवस्थाएं ऐसी होंगी, जिसके लिए विदेशी पर्यटकों को भी परेशानी नहीं होगी।
-रामसकल, सांसद, राज्यसभा। मंत्री के रवैये से मायूस हैं सांसद
संबंधित विभाग के मंत्री की स्थिति बहुत ही लचीला है। कई बार उनके यहां प्रस्ताव भेजे गये लेकिन सुनवाई के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ। हम तो लगे हैं कि यहां का विकास हो। अब केंद्र या प्रदेश से सहयोग मिले तो यहां का विकास किया जा सकेगा।
-छोटेलाल खरवार, सांसद, सोनभद्र। प्रस्ताव भेजे हैं बाकी डीएम बताएंगे
जनपद के पर्यटनस्थलों के विकास के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। उस पर क्या आगे बढ़ा है इसकी जानकारी डीएम देंगे। हालांकि हम जल्द ही कार्यशाला करने जा रहे हैं। सलखन व दूसरे धार्मिक स्थल हैं। उसको विकसित किया जायेगा। प्राकृतिक रूप से सुंदर सोनभद्र के विकास के लिए काम किया जाएगा।
-भूपेश चौबे, सदर विधायक। पर्यटन मंत्री को दिया है प्रस्ताव
पर्यटन मंत्री के यहां प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें मुक्खा फाल, महुअरिया में पहुंच मार्ग, शेड सहित दूसरी जरूरी चीजों का जिक्र किया गया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि हरहाल में यहां का सुंदरीकरण किया जायेगा।
-अनिल मौर्य, विधायक, घोरावल। सभी जगहों के विकास पर जोर
जनपद के समूचे पर्यटन स्थलों के विकास के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जनपद के फासिल्स, मंगेश्वरनाथ व अमिला धाम जैसी जगहों का विकास कराया जायेगा।
-संजय गोंड़, विधायक, ओबरा।
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प्रबुद्ध वर्ग का विचार..
विकास कहां हो रहा है। अबकी बार नहीं करेंगे तो कब करेंगे। बाकी समय तो केंद्र व प्रदेश में एक सरकार नहीं होने का बहाना करते ही हैं। यहां के पर्यटन के विकास से ही तो आय का जरिया बढ़ेगा।
-ओमप्रकाश पाठक, अध्यक्ष, सोबाए। पर्यटन स्थलों का विकास यहां नाममात्र नहीं हुआ है। इतना सुंदर जिला जिसका कोना-कोना प्रकृति से आच्छादित है। अधिकारियों व नेताओं ने इसे गंदा कर रखा है। -सुनीता, बलुई, छात्रा।
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करोड़ों की कमाई में लिप्त नेता व अधिकारी पर्यटन के विकास को लेकर ¨चतित नहीं हैं। अपना खजाना कैसे भरे इसी को लेकर दिनों रात लगे हुए हैं।
-अलका ¨सह, छात्रा। प्रदेश के सभी जिलों से अधिक यहां पर्यटन स्थल हैं लेकिन, उपेक्षा के शिकार होने के कारण पर्यटन यहां आना नहीं चाहते। पर्यटकों के लिए मूलभूत जरूरतों को पूरा करना अतिआवश्यक है।
-रतनलाल गर्ग, व्यापारी नेता। प्रदेश सरकार व प्रशासन को चाहिए कि पर्यटन स्थलों का विकास करे। उसके बिना यहां कुछ भी संभव नहीं है। विश्व फलक पर लाने के लिए विकास की रूपरेखा खींचनी ही होगी। ऐसी लापरवाही से काम नहीं चलेगा।
-राजेश गुप्त, व्यापारी नेता। शिक्षकों ने माना कि विकास जरूरी जनपद के पर्यटनस्थलों का विकास नहीं होना ¨चतनीय है। अभी तक तो इसका भव्य कलेवर होना चाहिए था। विकास की आंधी चल रही है तो फिर ऐसा क्यूं है कि स्थलों के पास उदासी छायी रहती है।
-ब्रजभूषण शुक्ल, शिक्षक। पर्यटन के क्षेत्र में विकास करके रोजगार व आय दोनों में वृद्धि की जा सकती है। इसके विकास से जनपद को विश्व के क्षितिज पर लाया जा सकता है।
-डा. अंजलि विक्रम ¨सह, प्राचार्य।