1974 में पहली बार सोनांचल में कदम रखे थे पूर्व पीएम
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटल बिहारी वाजपेयी का सोनांचल के लो
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री पं. अटल बिहारी वाजपेयी का सोनांचल के लोगों से गहरा नाता रहा है। अविभाजित मीरजापुर जिले का हिस्सा जब सोनांचल था, तो उस समय पहली बार 1974 में अटलजी यहां की धरती पर कदम रखे थे। वे राबर्ट्सगंज के राजा तेजबली शाह क्लब मैदान में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किये थे। उस समय संसदीय दल के नेता के तौर पर जनसंघ में रहे अटलजी को सुनने के लिए हजारों की भीड़ जुटी थी। कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रामकृष्ण तिवारी को आज भी वह पल याद है। जब मंच पर आते ही अटलजी ने सबसे पहले उनका नाम लिया था। पूछे थे रामकृष्ण तिवारी कहां हैं। इसके अलावा यहां के कई अन्य लोगों से भी उनका गहरा नाता रहा है।
श्री तिवारी 1974 के उस दौर को याद करते हुए कहते हैं कि वह दौर कुछ और ही था। अटल का मिलनसार स्वभाव हर किसी को आकर्षित करती थी। कहते हैं विधानसभा का चुनाव होना था। यहां से जनसंघ-भाजपा के प्रत्याशी के रूप में सुबेदार प्रसाद को चुनाव लड़ना था। उन्हीं के लिए समर्थन जुटाने अटलजी तब के अविभाजित मीरजापुर में आये। क्लब मैदान में वे सभी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से व्यक्तिगत रूप से मिले और तभी से गहरा लगाव हो गया। अटलजी का संबंध जिले के अन्य लोगों से भी रहा है। पूर्व एमएलसी जय प्रकाश चतुर्वेदी बताते हैं कि अटलजी का व्यवहार और उनके बात करने की शैली हर नेता से अलग थी। यहीं वजह है कि लोग उनके कायल थे। श्री चतुर्वेदी अटलजी के साथ बिताए पलों को याद करते हुए कहते हैं एक अच्छे कवि के रूप में, चाहे एक अच्छे नेता के रूप में या फिर बात करें एक अच्छे सेवक के रूप में तो इनके मुकाबले कोई दिखता नहीं। अटलजी से जो भी कभी मिला। अगर उसके इलाके का कोई उनके पास जाता तो उसके बारे में जरूर चर्चा करते। उसका कुशल क्षेम पूछते। हर कार्यकर्ता और पदाधिकारी उनसे व्यक्तिगत जुड़ा रहा। यही वजह है कि उन्होंने संगठन को बुलंदियों तक पहुंचाया।
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अटलजी के आर्शीवाद से बना एमएलसी
अटलजी केवल एक नेता या संगठन के पदाधिकारी नहीं बल्कि भाजपा के रीढ़ थे। उन्हें का आशीर्वाद मुझे मिला तो मैं विधान परिषद सदस्य बन पाया। वर्ष 1972 में मैं जब संघ का प्रचारक फैजाबाद में बना तो अटलजी से लगाव बढ़ रहा था। उसके बाद तो लगातार उनका सहयोग मिलता गया और मैं आगे बढ़ता गया। काम करने वाले कार्यकर्ताओं पर हमेशा उनकी नजर रही। वह अपने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं व नजदीकियों के लिए बहुत कुछ करते रहे। उन्हीं का सहयोग और आशीर्वाद मुझे मिला तो मैं वर्ष 2004 में विधान परिषद का सदस्य बना। अटलजी के सहयोग से ही मैं कई बार चुनाव भी लड़ा। लखनऊ से जब वे चुनाव लड़े तो उनके चुनाव संचालन की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए हमारा उनसे गहरा लगाव हो गया। एक तरह से पारिवारिक लगाव हो गया। जब वे प्रधानमंत्री बने तो कुछ लोगों को लगा कि अब अटलजी कार्यकर्ताओं से नहीं मिलेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बिल्कुल सरल स्वभाव के अटलजी वैसे ही कार्यकर्ताओं से मिलते जैसे पहले मिल रहे थे। कभी उनसे मिलते-जुलते यह लगा ही नहीं कि वे प्रधानमंत्री हैं।
-जय प्रकाश चतुर्वेदी, पूर्व एमएलसी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता।
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अटलजी के साथ बिताये पल को शब्दों में बयां करना मुश्किल
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री पं.अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बिताये पलों को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। वास्तव में अटलजी की जितनी सराहना करूं वह कम है। 1974 का वह पल आज भी मुझे याद है, जब मैं अटलजी के साथ क्लब मैदान में मंच पर था। उस दौरान कन्हैया गुप्ता भी थे। विधानसभा चुनाव में जनसंघ-भाजपा के प्रत्याशी के रूप में सुबेदार प्रसाद चुनावी मैदान में थे। उनके समर्थन में जनसभा को संबोधित करने के लिए अटलजी आये। मंच पर वे जैसे ही आये पूरा क्लब मैदान भर गया। हर कोई उन्हें सुनने के लिए उत्सुक था। जैसे ही अटलजी बोलना शुरू किये पूरा माहौल ही बदल गया। मंच पर वे न सिर्फ संबोधित किए बल्कि एक-एक कार्यकर्ता और पदाधिकारी से भी मिले। जिनसे उनकी नजदीकी थी, लेकिन वे मंच पर थे नहीं उनके बारे में भी पूछा था।
-रामकृष्ण तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता।
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