प्रदेश में बिजली खपत ने बनाया नया कीर्तिमान, वार्षिक अनुपात 13 साल में पहुंचा रिकार्ड ऊंचाई पर
उत्तर प्रदेश में बिजली की खपत ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, वार्षिक अनुपात 13 साल में रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। राज्य में बिजली की मांग मे ...और पढ़ें

इस वर्ष प्रतिदिन की औसत बिजली खपत 466.1 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है।
जागरण संवाददाता, ओबरा(सोनभद्र)। प्रदेश में बिजली की खपत ने इस वर्ष अब तक का नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। दिसंबर माह में पड़ी कड़ाके की ठंड और लगातार छाए घने कोहरे के कारण घरेलू व व्यावसायिक उपभोक्ताओं द्वारा बिजली आधारित उपकरणों का उपयोग तेजी से बढ़ा है। इसका सीधा असर राज्य की कुल विद्युत खपत पर पड़ा है।
ऊर्जा विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष प्रतिदिन की औसत बिजली खपत 466.1 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है, जो वित्तीय वर्ष 2012-13 की 209.8 मिलियन यूनिट की तुलना में 256.3 मिलियन यूनिट अधिक है। बीते 13 वर्षों में यह अब तक की सर्वाधिक दैनिक औसत खपत मानी जा रही है।
ऊर्जा विभाग के आंकड़े साफ संकेत दे रहे हैं कि इस वर्ष सर्दी ने बिजली व्यवस्था के सामने अभूतपूर्व चुनौती खड़ी कर दी है। खासतौर पर सुबह और देर शाम तक घरों में हीटिंग और रोशनी की जरूरत बढ़ने से घरेलू खपत में भारी उछाल आया है। वहीं कोहरे के कारण सड़क यातायात, रेलवे परिचालन और औद्योगिक गतिविधियों में भी अतिरिक्त विद्युत उपयोग हो रहा है, जिससे कुल लोड लगातार उच्च स्तर पर बना हुआ है।
बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने बिजली आपूर्ति को लेकर राज्य स्तरीय मानिटरिंग लागू कर दी है। सभी तापीय परियोजनाओं को पूर्ण क्षमता के साथ संचालित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। ओबरा, अनपरा, हरदुआगंज, परीक्षा व अन्य तापीय परियोजनाओं समेत प्रदेश की प्रमुख उत्पादन इकाइयों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। पावर हाउसों में तकनीकी खामियों को तुरंत दूर करने, कोयला आपूर्ति निर्बाध रखने और आवश्यक संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार कोयले का पर्याप्त भंडारण, मशीनरी का नियमित रखरखाव और ट्रांसमिशन सिस्टम की चौबीसों घंटे मानिटरिंग की जा रही है। राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम से मांग और आपूर्ति की रियल टाइम समीक्षा हो रही है, ताकि किसी भी क्षेत्र में बिजली संकट की स्थिति उत्पन्न न हो। जरूरत पड़ने पर अन्य राज्यों से बिजली खरीद और वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति की योजना भी तैयार रखी गई है।
प्रबंधन का कहना है कि सर्दी के इस कठिन दौर में आम उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हालांकि बढ़ती खपत के चलते उत्पादन इकाइयों पर दबाव भी बढ़ा है। ऐसे में ऊर्जा विभाग ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे बिजली का संयमित और जिम्मेदार उपयोग करें। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में ठंड और तेज हुई तो खपत में और इजाफा हो सकता है, ऐसे में सरकार की यह रणनीति प्रदेश को संभावित बिजली संकट से बचाने में निर्णायक साबित होगी।
वित्तीय वर्ष खपत का वार्षिक औसत (मियू./प्रतिदिन)
2012-13 209.8
2013-14 223.6
2014-15 239.2
2015-16 254.5
2016-17 287.4
2017-18 322.5
2018-19 317.3
2019-20 328.9
2020-21 337.4
2021-22 351.0
2022-23 389.6
2023-24 403.3
2024-25 448.3
2025-26 (19.12.25 तक) 466.1

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