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    यूपी के इस शहर में रोजाना लगते हैं भूकंप के झटके! घरों पर पड़ी दरारें, डर के साये में जीने को मजबूर लोग

    Updated: Sun, 24 Nov 2024 05:19 PM (IST)

    UP News सोनभद्र के एक शहर में रोजाना भूकंप जैसे झटके लग रहे हैं जिससे लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं। खनन क्षेत्र के करीब के इलाकों में ब्लास्टिंग के दौरान रहवासियों में खौफ का माहौल रहता है। हैवी ब्लास्टिंग से आसपास के रिहायशी मकानों में दरारें पड़ गई हैं। प्रशासन को कई बार अवगत कराने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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    UP News: कई इलाकों में भूकंप सा झटका लगता है। प्रतीकात्‍मक

    संवाद सूत्र,ओबरा(सोनभद्र) । UP News: बिल्ली खनन क्षेत्र में हो रहे हैवी ब्लास्टिंग से नगर के कई इलाकों में भूकंप सा झटका लगता है। दोपहर एक से दो बजे के करीब होने वाले हैवी ब्लास्टिंग के दौरान आसपास के मकानों की दीवारें नीचे तक हिल जाती हैं।

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    खनन क्षेत्र के करीब के इलाकों की हालत तो सबसे खराब है, जहां ब्लास्टिंग के दौरान रहवासियों में खौफ का माहौल रहता है। हालात इतने बुरे हैं कि खनन क्षेत्र के आसपास के रिहायशी मकानों में दरारें तक पड़ चुकी हैं, लेकिन अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर बनाए मकानों में रहने वाले लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं।

    पैसे की लालच में लोगों की जान से खिलवाड़

    अधिक पैसे की लालच ने क्षेत्र के खननकर्ताओं को अंधा कर रखा है। वे अधिक से अधिक पैसे की लालच में लोगों की जान से भी खिलवाड़ करने को तैयार हैं। इसके लिए रोजाना कैसे भी अधिक से अधिक पत्थर का उत्खनन करने के चक्कर में खनन क्षेत्र की खदानों में अत्यधिक विस्फोटक का प्रयोग कर उच्च तीव्रता की ब्लास्टिंग कराई जा रही है।

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    स्थिति यह है कि खनन क्षेत्र में ब्लास्टिंग के दौरान सैकड़ों फीट ऊंचा धूल का गुबार आसानी से देखने को मिल जाता है। सबसे बुरी हालत तो नगर के सेक्टर-9 न्यू कालोनी, तापीय परियोजना के सेक्टर नौ के सरकारी आवासों सहित ओबरा पीजी कालेज से शारदा मंदिर जाने वाली सड़क के इर्द गिर्द रहने वालों का है। यहां ब्लास्टिंग के दौरान भूकंप जैसे झटके लगने के दौरान लोग आये दिन दुर्घटना की आशंका में जीने को मजबूर हैं।

    विस्फोट की तीव्रता का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना एक से दो बजे के बीच ओबरा के मुख्य बाजार और चोपन रोड पर बने दुकानों और मकानों तक की खिड़कियां और दरवाजे हिल जाते हैं। इस सम्बन्ध में अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बाद भी इस समस्या को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। जिससे खननकर्ताओं के हौसले और भी बुलंद होते जा रहे हैं।

    खनन क्षेत्र के पास रिहायशी इलाका होने से होती है परेशानी

    ओबरा : बिल्ली खनन का दायरा धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा है। साथ ही खनन क्षेत्र से मात्र कुछ दूरी पर ही रिहायशी इलाके होने की वजह से समस्या गंभीर होती जा रही है। देखा जाए तो पिछले एक दशक पहले तक खनन क्षेत्र का दायरा सीमित था।

    केवल राज्य सरकार द्वारा पहाड़ियों में आवंटित खदानों में ही खनन का कार्य ज्यादा होने की वजह से आसपास रिहायशी मकान भी कम हुआ करता था। जैसे-जैसे नगर की आबादी बढ़ती गयी वैसे-वैसे खदानों और रिहायशी मकानों की दूरी कम होती गयी। इसके अलावा खनन क्षेत्र से सटे कास्तकारों ने भी अपनी-अपनी जमीनों में लीज की प्रक्रिया सुनिश्चित कर खनन का कार्य शुरू कर दिया।

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