प्रतिबंध के बावजूद रिहंद से हो रही मछलियों की तस्करी
जागरण संवाददाता, बीजपुर (सोनभद्र) : जुलाई से अगस्त माह तक जलीय जीवों का प्रजनन काल होता है।
जागरण संवाददाता, बीजपुर (सोनभद्र) : जुलाई से अगस्त माह तक जलीय जीवों का प्रजनन काल होता है। इसलिए इस बीच मछली मारने या पकड़ने पर प्रतिबंध होता है। इस प्रतिबंध को कड़ाई से लागू कराने के लिए मत्स्य विभाग जगह-जगह बड़े तालाबों, डैम व नदी किनारे कर्मियों की तैनाती करता है। बावजूद इसके रिहंद डैम में इनदिनों अवैध रूप से मछलियों का शिकार करके उनकी तस्करी कोलकाता व छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर की मंडियों में की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि यहां से कई ¨क्वटल मछलियां प्रतिदिन बाहर भेजी जा रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक धंधेबाज शाम होते ही बड़े-बड़े जाल और दर्जनों नाव लेकर रिहंद जलाशय में उतर जाते हैं और पूरी रात जाल बिछाकर छोटी एवं बड़ी नाव के सहारे मछली मारकर कोलकाता और अंबिकापुर की मंडियों में भेजते हैं। जबकि जलाशय में मछलियों की निगरानी के लिए मत्स्य विभाग द्वारा कई फिशरमैन और मत्स्य विकास अधिकारी की नियुक्ति की गई है। इनके पास तमाम सुरक्षा मोटर बोट के अलावा नाव और जलाशय के किनारे चक्रमण करने के लिए वाहन भी मौजूद हैं। बावजूद इसके अब तक अवैध शिकारी को नहीं पकड़ा गया और न ही किसी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की। विभागीय सूत्रों की मानें तो झीलों, महरी कला, एनटीपीसी रिहंद के बोट प्वाइंट, एसआर पावर प्लांट के पंप हाउस, खम्हरिया, धुमाडांड, करौंटी आदि स्थानों पर शिकारी मछली मारने में लगे हुए हैं। क्षेत्र के तमाम बाजारों में सरेआम मछलियों को बेचा जा रहा है। हद तो तब होती है जब विभागीय लोग मछलियों का शिकार होते देखकर भी मौन रहते हैं। इस संबंध में मत्स्य विभाग के डैम प्रभारी ओएन भारती ने कहा कि मछलियों को जो लोग मारते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होती है। पूर्व में कई शिकारियों की जाल, नाव व ट्यूब आदि बरामद किया जा चुका है। उनसे जुर्माना भी वसूला गया है। आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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