नमाज तरावीह के बाद मुल्क में अमन की मांगी दुआ
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : नगर के नई बस्ती स्थित मस्जिद में चांद रात से चल रही नमाजे तरावीह शुक्रवार
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : नगर के नई बस्ती स्थित मस्जिद में चांद रात से चल रही नमाजे तरावीह शुक्रवार को हाफिज मुहम्मद आशिफ ने खत्म कराई। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में मुसलमानों ने नमाज तरावीह अदा कर अल्लाह की बारगाह में दुआ मांगकर शुक्रिया अदा की। इस दौरान विशेष दुआएं मांगी गई। नमाज के बाद हाफिजे कुरआन व नमाजियों ने रो-रोकर खुदा की बारगाह में गुनाहों की माफी मांगी।
तरावीह के बाद शायरों ने नबी की शान में नाते नबी का नजराने अकीदत पेश की। इसके पूर्व एक जश्ने कुरआन का भी आयोजन किया गया। हाफिज ने कहा कि इस्लाम अल्लाह का सबसे पसंदीदा दीन है और हजरत मोहम्मद पूरी दुनिया के लिए रहमत बनकर आये। इसलिए जहां तक हो सके लोग नेक अमल करके अपनी ¨जदगी को कामयाब बनाएं। जलसा के बाद दुनिया में अमन व शांति के लिए दुआ की गई।
क्या है तरावीह : नमाज-ए-तरावीह रमजानुल मुबारक के पूरे माह पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज है। इस नमाज के दौरान हाफिज (कलाम पाक को कंठस्थ करने वाले) कलाम पाक के अध्याय को रोजाना क्रमवार पढ़ते हैं। कलाम पाक में कुल 30 पारा (अध्याय) है। अध्याय पूरे होने को खत्म तरावीह कहते हैं, वहीं खत्म तरावीह के बाद बाकि रमजान में सूरह तरावीह की नमाज अदा की जाती है। यानि रमजान के पूरे माह तरावीह की नमाज अदा की जाती है।
दुआ में इन बातों पर रहा जोर : ये अल्लाह हमारे जाने-अनजाने में हुए गुनाहों को माफ कर, रोजी-रोटी में बरकत अता फरमा, हराम कामों से मुसलमानों को बचा, मुसलमानों को पंचवक्ता नमाजी बना, रोजेदारों की टूटी-फूटी इबादत को कबूल फरमा, ईमान पर कायम रहने की कूवत अता फरमा। मुसलमानों की वजह से किसी को कोई दुश्वारी न हो, मुल्क व समाज में अमनों-अमान कायम हो।
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पाकीजगी के साथ रोजा रख रहे नन्हें रोजेदार
रमजान के मुबारक महीने को लेकर चारों ओर उत्सव सा माहौल है। हर उम्र व वर्ग के लोग शिद्दत के साथ रोजा रख रहे हैं लेकिन नन्हें उम्र के रोजेदारों का उत्साह देखते ही बनता है। सात वर्ष से 12 वर्ष के नन्हें रोजेदार भी पूरी पाकिजगी के साथ रोजा रख रहे हैं। वहीं रोजा रखने के विषय में पूछने पर नन्हें रोजेदार 12 साल के अफजल व अमन कहते हैं कि रोजा से हमें बेशूमार खुशियां मिलती हैं। घर में सभी को रोजा रखते देख मैंने भी रोजा रखने की इच्छा जताई। पहले तो घर वाले तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में मान गये। अफजल 10 वर्ष की उम्र से ही रोजा रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे पूरे 30 रोजे रहेंगे। नन्हें रोजेदार माहे रमजान के इस मुबारक महीने में बड़ों के साथ रोजा रख कुरान की भी तिलावत कर रहे हैं। नन्हें रोजेदारों को देख आसपास के बड़े लोग भी रोजा नियमित रखने लगे हैं।
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