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    रिहंद जलाशय समेटता है तीन राज्यों का बरसा जल

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    Updated: Fri, 09 Sep 2016 06:30 PM (IST)

    सोनभद्र : उत्तर प्रदेश के नक्शे के दक्षिणी छोर पर स्थित गो¨वद वल्लभ पंत यानि रिहंद जलाशय अपने आप में ...और पढ़ें

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    सोनभद्र : उत्तर प्रदेश के नक्शे के दक्षिणी छोर पर स्थित गो¨वद वल्लभ पंत यानि रिहंद जलाशय अपने आप में एक अलौकिक ऐतिहासिक धरोहर है। 5148 वर्ग मील में फैला यह जलाशय तीन राज्यों के बारिश के जल को समेटता है। इसके पानी से सोनभद्र के पिपरी, ओबरा व एनटीपीसी की ईकाई ¨सगरौली में जल विद्युत परियोजना की स्थापना की गई है। इसके साथ ही भू-गर्भ जलस्तर को बनाए रखने में भी इस जलाशय का महत्वपूर्ण योगदान है।

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    उत्तर प्रदेश के पिपरी से शुरू हुए इस जलाशय का फैलाव मध्य प्रदेश राज्य के बैढ़न के साथ ही अन्य हिस्सों में भी है। इसका एक छोर छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर व सूरजपुर तक भी फैला हुआ है। इस जलाशय की जलग्रहण क्षमता 8600 एकड़ वर्ग फीट है। इसमें औसत वार्षिक जलागमन 51,380 एकड़ फीट माना गया है। इसमें बारिश के दिनों में मध्य प्रदेश के साथ ही छत्तीसगढ़ के पहाड़ी व मैदानी इलाकों से पानी आता है। जो सोनभद्र के शक्तिनगर, अनपरा आदि क्षेत्रों से होते हुए पिपरी पहुंचता है। जहां जलविद्युत परियोजना के लिए बने डैम में एकत्रित होता है। इस डैम की जलभराव क्षमता 880 फीट है। जिसे अब 870 फीट ही माना जाता है। डैम में जलभराव मानक से अधिक होने पर उसे बनाए गए 13 फाटकों को खोलकर ओबरा डैम में छोड़ दिया जाता है। जहां पानी क्षमता से अधिक होने पर रेणु व बिजुल नदियों से होते हुए सोन नदी में बहा दिया है। ऐसे में सोन नदी से होते पानी पटना के समीप गंगा में मिल जाता है।

    रिहंद डैम पर स्थापित है छह टरबाइन

    रिहंद जलाशय पर पिपरी में जल विद्युत उत्पादन के लिए बने डैम बनाया गया है। इसपर बिजली उत्पादन के लिए छह टरबाइनों की स्थापना की गई है। एक टरबाइन 50 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता रखती है। ऐसे में यहां से कुछ 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। इस डैम की लंबाई 3065 फीट है तो ऊंचाई 300 फीट है। इसके साथ ही डैम की ऊपरी चौड़ाई 24 फीट है। इनदिनों तीन टरबाइनों को चलाकर 150 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।

    बांध में बने हैं 13 गेट

    रिहंद डैम में जल निस्तारण के लिए 13 गेट यानि फाटक बनाए गए हैं। इसमें एक गेट की चौड़ाई व ऊंचाई 40331.5 फीट है। एक गेट को पूरा खोलने पर प्रति सेकेंड 30 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा सकता है। गेट खुलने पर पानी लगभग 30 फीट नीचे गिरता है। ऐसे में यहां का दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं।

    प्रथम प्रधानमंत्री ने किया था उद्घाटन

    भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहर लाल नेहरू ने 13 जुलाई 1954 में रिहंद डैम की आधारशिला रखी थी। उस दौरान इस बांध के निर्माण पर 51.54 करोड़ रुपया खर्च हुआ था। निर्माण के बाद प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहर लाल नेहरू ने ही 6 जनवरी 1963 में इसका उद्घाटन किया था।

    ओबरा में स्थापित है तीन टरबाइन

    रिहंद डैम में पानी क्षमता से अधिक होने पर उसे ओबरा डैम में छोड़ दिया जाता है। इस डैम का क्षेत्रफल लगभग 18 वर्ग किमी है। इसमें 15 फाटक बनाए गए हैं। डैम में 193.23 मीटर पानी की क्षमता है। इस डैम पर बिजली की तीन ईकाइयां स्थापित की गई हैं। जिसकी 33 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। इन दिनों पानी अधिक होने से 99 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। इसका निर्माण 1964 से 1970 तक हुआ था। इस पर कुल 1453 लाख रुपये खर्च हुआ था।

    एनटीपीसी ¨सगरौली ने लगाई दो टरबाइन

    रिहंद जलाशय के पानी से बिजली उत्पादन करने के लिए एनटीपीसी ¨सगरौली की ईकाई ने दो टरबाइन की स्थापना की है। इससे आठ मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। डैम में इनदिनों पानी अधिक होने के कारण टरबाइनें चल नहीं रही हैं।