सनातन व सत्य ही धर्म है: स्वामी अड़गड़ानंद
चकिया (चंदौली) : सत्य ही धर्म है और यही सनातन है। अनन्य भाव से भगवान का स्मरण करने वाला कभी भी पर
चकिया (चंदौली) : सत्य ही धर्म है और यही सनातन है। अनन्य भाव से भगवान का स्मरण करने वाला कभी भी परेशान नहीं रहता। जैसा कि भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है। यह बातें प्रख्यात संत स्वामी ड़गड़ानंद जी महाराज ने गुरुवार को कही। वह मुबारकपुर गांव स्थित परमहंस आश्रम पर भक्तों की उमड़े जन समूह को संबोधित कर रहे थे। गीता को राष्ट्रीय धर्म ग्रंथ घोषित किए जाने का आह्वान किया।
नवनिर्मित आश्रम स्थल पर दोपहर बाद पहुंचे स्वामी अड़गड़ानंद जी ने कहा कि कोई भी मोह माया समाज व देश के लिए बाधक रहा है। माया के जाल में फंसकर राजा दशरथ ने अयोध्या को विरान बना दिया। वहीं महाभारत काल में राजा धृतराष्ट्र ने पुत्र मोह में पड़कर पांडव व कौरव वंश का सर्वनाश कर दिया। इसके चलते एक नई संस्कृति ने जन्म ले लिया। कहा कि अनन्य भाव से जो कोई भगवान को भजते हैं वे ईश्वर के व भगवान भक्त के हो जाते हैं। जैसा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने इसे स्पष्ट रूप से उल्लेख किया। धर्म को अपरिवर्तनशील बताते हुए इसे अथाह समुद्र बताया। इसी तरह भगवान बुद्ध व अपने गुरू के भी कई जन्म लेने के बाद धर्म का ज्ञान होने का उल्लेख किया। कहा कि रावण के अनेक राक्षस अनुयायी जो मांस भक्षण करते थे। वे जब भगवान श्रीराम के शरण में आए तो उन्हें श्रीराम ने गले लगाकर अपना लिया। इससे रामराज्य में चतुर्दिक विकास हुआ। ऐसा ही अब भी होना चाहिए। इसके पूर्व स्वामी अड़गड़ानंद जी के आश्रम पर पहुंचने पर भक्तों ने उनका वैदिक रीति रिवाज के साथ अभिनंदन कर आर्शीवाद ग्रहण किया। इस दौरान स्वामी जी के शिष्य तुलसी महाराज, तानसेन, राकेश, दुलारे बाबा ने यथार्थ गीता के श्लोक का वाचन किया।
गीता को घोषित करें राष्ट्रीय ग्रंथ
चकिया : स्वामी अड़गड़ानंद जी ने गीता को जीवन व अध्यात्म का जीवंत रूप बताया। इसके अध्ययन व पाठ से व्यक्ति के अंदर जबरदस्त सुधार होता है। ऐसे में इस पवित्र ग्रंथ को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने गीता को हर घर में पहुंचाने का आह्वान किया। कहा कि मनुष्य रूपी दुर्लभ तन को पवित्र बनाने में यह धर्म ग्रंथ सबसे च्यादा कारगर है। इसके पाठ से भौतिकवादी व स्वार्थ पूर्ण सोच समाप्त हो जायेगी। संगत के असर का भी उल्लेख किया। आश्रम पर पहुंचे स्वामी जी के दर्शन सहित प्रवचन सुनने के लिए वनगांवा सहित जनपद के कोने-कोने से अनुयायियों का जत्था उमड़ पड़ा। सैकड़ों अनुयायियों के बीच स्वामी जी ने नवनिर्मित आश्रम के संचालन की जिम्मेदारी अपने शिष्य निर्मल बाबा को सौंपते हुए शिष्यों से उनका सामूहिक परिचय कराया। आश्रम संचालक को अपने बीच देख अनुयायियों ने स्वामी जी का जयघोष करते हुए उनके प्रस्ताव का अनुमोदन किया।
जब लिया केंद्रीय गृह मंत्री का नाम
चकिया: प्रवचन के दौरान स्वामी जी ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह का नाम लिया। कहा कि गीता को राष्ट्र ग्रंथ घोषित किए जाने के लिए आप के क्षेत्र के रहने वाले गृह मंत्री राजनाथ ¨सह से मिले। आह्वान किया कि आपकी की मुलाकात व गुहार गृह मंत्रालय जरूर सुनेगा। यही नहीं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश से भी गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में शामिल किए जाने की वकालत करने से नहीं चुके।
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