मातृशक्ति के विशेष कोष से जरूरतमंदों के सपनों को मिल रही ‘उड़ान’, परिषदीय विद्यालय की शिक्षिका ने 10 वर्ष पहले की थी पहल
सीतापुर में शिक्षिका निर्मला द्वारा शुरू की गई 'उड़ान' पहल, जरूरतमंद छात्रों को शिक्षा में मदद कर रही है। 'मातृशक्ति विशेष कोष उड़ान' से 40 छात्रों को छात्रवृत्ति मिल रही है। निर्मला की 50 सहेलियाँ भी इसमें सहयोग कर रही हैं। छात्रवृत्ति कक्षा आठ से स्नातक तक के छात्रों को मिलती है। निर्मला का लक्ष्य 2027 तक 100 छात्रों को छात्रवृत्ति दिलाना है। उन्हें 2021 में राज्य शिक्षक पुरस्कार भी मिला है।
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विशेष कोष की वार्षिक बैठक में निर्मला भार्गव व अन्य
दुर्गेश द्विवेदी, सीतापुर। किसी बच्चे के सपने संसाधनों के अभाव में टूटें। ऐसे जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और उनके सपनों को उड़ान मिल सके। इसके लिए उच्च प्राथमिक विद्यालय बीहट बीरम की शिक्षिका निर्मला की दस वर्ष पहले शुरू की गई पहल मददगार साबित हो रही है। मातृशक्ति विशेष कोष उड़ान से मिलने वाली दो हजार रुपये मासिक छात्रवृत्ति से मछरेहटा के सूरजपुर के संतोष इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं।
सिर्फ सूरज ही नहीं उनके जैसे जिले के 40 छात्र-छात्राओं के सपनों को इस पहल से उड़ान मिल रही है। पहल में लखनऊ, बरेली, हल्द्वानी सहित विभिन्न जनपदों की रहने वाली निर्मला की 50 सखियां भी साथ दे रही हैं, जोकि अपने दैनिक खर्च की रकम बचाकर सामर्थ्य के अनुसार धनराशि देती हैं। यह छात्रवृत्ति कक्षा आठ से स्नातक तक की पढ़ाई के लिए दी जाती है। निर्मला का लक्ष्य वर्ष 2027 तक छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा 100 तक पहुंचाना है।
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण के दौरान निर्मला ने अध्ययनरत निर्बल परिवारों की आर्थिक कमजोरी का अहसास किया। जूनियर हाईस्कूल के बाद छात्र-छात्राओं शिक्षा में बाधा बन रहे धन के अभाव को दूर करने की शुरुआत उन्होंने स्वयं के स्तर से वर्ष 2015 से की। शुरुआत में उन्होंने बीहट बीरम के परिषदीय विद्यालय से कक्षा आठ उत्तीर्ण सुरभि, चंदा, अखिलेश और राजेश को आर्थिक मदद के साथ ही किताबें उपलब्ध करवाई।
इसी तरह वह आगे भी छात्र-छात्राओं की मदद करती रहीं। इसकी चर्चा उन्होंने अपनी सहेलियों से भी की। मुहिम में सबसे पहले उनकी सहेली लखनऊ के सरोजनीगर की शिक्षिका अमृता जुड़ीं। धीरे-धीरे और भी सखियां उनकी मुहिम से जुड़ती गईं। अब मधु, गरिमा, सीता, नंदनी समेत 50 महिलाएं उनकी मुहिम में सहायक हैं। नंदनी बताती हैं कि ज्यादातर वही महिलाएं जुड़ी है जिनके पति या तो अच्छी नौकरी में हैं या फिर व्यापारी हैं।

ऐसे किया जाता है चयन
छात्रवृत्ति किसी पात्र को ही मिले। इसको लेकर पात्रता के मानक भी हैं। इसमें विद्यालय के प्रधानाचार्य की संस्तुति के साथ ही छात्र या छात्रा का दो वर्ष तक लगातार कक्षा का टापर होना भी आवश्यक है। इसके अलावा तीन सदस्यीय सखियों की टीम संबंधित छात्र-छात्रा के गांव जाकर उनके परिवार की माली हालत का भी पता लगाती है। इसके बाद छात्रवृत्ति के लिए उसका चयन किया जाता है।
छात्रवृत्ति के अलावा अन्य सहयोग भी मिलते
     
मछरेहटा के गांव अकिल्लपुर की सुरभि दिल्ली में टेक्सटाइल डिजाइन का कोर्स कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें लखनऊ की अमृता ने दिल्ली में दाखिला दिलाया था। उन्हीं ने यहां रहने के स्थान की व्यवस्था भी की थी। उनका कोर्स 2026 में पूरा हो जाएगा। किन्हौटी के सर्वेश ने बताया कि उन्हें पालीटेक्निक का कोर्स करने में उड़ान से काफी मदद मिल रही है। गोपलापुर के अभिषेक ने बताया कि वह एक निजी विद्यालय से एलएलबी कर रहे हैं। उड़ान कार्यक्रम के तहत उन्हें पहले सेमेस्टर की फीस उपलब्ध कराई गई है।
निर्मला के हाथ संचालन की बागडोर
 इस विशेष कोष के संचालन की बागडोर स्वयं निर्मला ही संभालती हैं। हालांकि निगरानी के लिए तीन सदस्यीय समिति भी बना रखी है, जिसमें सेवानिवृत्त शिक्षिका सुशीला, शिक्षिका ममता और लखनऊ की संगीता शामिल हैं। निर्मला के बताया कि 40 बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रतिमाह दो हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है। प्रवेश या पुस्तकें खरीदने आदि के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त मदद भी जाती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2027 तक छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का आंकड़ा एक सैकड़ा पहुंचाना चाहती हैं। वर्तमान में करीब ढाई लाख रुपये कोष में हैं।
मिल चुका राज्य शिक्षक पुरस्कार
     
 विशेष कोष उड़ान का संचालन करने वाली निर्मला को वर्ष 2021 में राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा क्षेत्र में भी लोग इनके कार्य की सराहना करते हैं।
उच्च प्राथमिक विद्यालय बीहट बीरम की शिक्षिका निर्मला भार्गव शिक्षण कार्य में नवाचार करने के साथ ही जनसरोकार से भी जुड़ी हैं। उन्हें वर्ष 2021 में राज्य शिक्षक पुरस्कार भी मिल चुका है। अन्य शिक्षक भी उनकी मुहिम से प्रेरित हो रहे हैं।- अखिलेश प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी, सीतापुर।

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