दधीचि व सीताकुंड का जल काई युक्त, जलभराव से श्रद्धालुओं को होंगी दिक्कतें
मिश्रिख में तीर्थों का जल दूषित कीचड़ जलभराव व गंदगी की बड़ी समस्या नपा प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा भुगतेंगे श्रद्धालु।

संसू, मिश्रिख (सीतापुर) : चौरासी कोसी परिक्रमा का अंतिम पड़ाव मिश्रिख है। यहां पहुंचकर परिक्रमार्थी पंच कोसी परिक्रमा करते हैं, फिर घरों को प्रस्थान करते हैं। नैमिषारण्य से कोल्हुआ बरेठी, चित्रकूट होकर श्रद्धालु मिश्रिख पहुंचते हैं। अमावस्या से यहां मेला शुरू हो जाता है। मेले को लेकर नगर में कोई तैयारियां नजर नहीं आ रहीं। नगर में साफ सफाई व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नपा प्रशासन की है। हालत यह है कि दधीचि कुंड, सीताकुंड का जल दूषित है। परिक्रमा समिति की बैठक में यह मुद्दा भी उठा था। डीएम ने ईओ से नाराजगी भी जताई थी। लेकिन नपा प्रशासन लापरवाही बरत रहा है। नगर के विभिन्न वार्डों में जलभराव, जलनिकासी की समस्या है। कूड़ा व गंदगी जगह-जगह फैली है। मेला मैदान व शेष नाथ मंदिर के निकट मैदान में गंदगी व कीचड़ की समस्या है। नगर में खाली स्थानों पर जहां परिक्रमार्थी डेरा लगाते हैं, बड़े पैमाने पर जलभराव, कीचड़ व गंदगी से श्रद्धालुओं को दिक्कतें होंगी। सफाई को लेकर नपा प्रशासन ने कोई अभियान शुरू नहीं किया है। अगर कार्य शुरू भी हो तो समय से होना मुश्किल है।
महर्षि दधीचि की नगरी, यहां का पौराणिक महत्व
मिश्रिख का धार्मिक ²ष्टि से विशेष महत्व है। मिश्रिख में ही महर्षि दधीचि ने वृत्तासुर राक्षस के संहार के लिए अपना शरीर देवताओं को दान किया था। उनकी हड्डियों से वज्र बना था, जिससे वृत्तासुर का संहार संभव हो सका था। महर्षि दधीचि की तपस्थली होने के कारण इसे बेहद पवित्र माना गया है। मिश्रिख में विशाल कुंड बना है। जिसे दधीचि कुंड के नाम से जाता है। कहा जाता है कि महर्षि दधीचि ने इसी कुंड में स्नान के बाद शरीर का दान किया था। इस भूमि की परिक्रमा कर श्रद्धालु पुण्य के भागी बनते हैं।
प्राचीन धार्मिक स्थलों के होते दर्शन
महर्षि दधीचि कुंड, दधीचि मंदिर, अष्टभुजा मंदिर, सीता कुंड, नर्मदेश्वर मंदिर, शेषनाथ मंदिर, बड़ा हनुमान मंदिर, शिव मंदिर, काली मंदिर आदि प्रमुख स्थान हैं। इन स्थानों का पौराणिक महत्व है। यहां श्रद्धालु दर्शन लाभ करते हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि इन धार्मिक स्थलों पर आने मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का आगमन होता है।
पंच कोसी परिक्रमा का महत्व
महर्षि दधीचि कुंड में स्नान व पूजन के बाद श्रद्धालु पंच कोसी परिक्रमा शुरू करते हैं। परिक्रमा की विशेषता यह है कि इसे मिश्रिख में किसी भी स्थान से शुरू कर सकते हैं। परिक्रमा कर उसी स्थान पर पहुंचकर इसकी पूर्णाहुति होती है। साधु, संतों का कहना है कि जितना पुण्य चौरासी कोसी परिक्रमा में मिलता है। उतना ही पुण्य पंच कोसी का है। इसमें भी शामिल होने के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
कुंड की सफाई पर ध्यान नहीं
सीता कुंड तीर्थ, बाल्मीकि आश्रम व कुंड उपेक्षा का शिकार है। सीता कुंड का जल कार्य युक्त है। दधीचि कुंड में भी काई की समस्या है। सीता कुंड तो नपा कार्यालय के ठीक के सामने है। कुंड में जल स्नान व आचमन तक के लायक नहीं है। इसकी वर्षों से सफाई तक नहीं हुई है। बाहरी श्रद्धालु यहां नियमित आते हैं। दुर्दशा देखकर दुखी होते हैं। काई के कारण दुर्गंध आती है। बाल्मीकि आश्रम भी जर्जर हो गया है। वहीं दधीचि कुंड के जल निकासी का प्रबंध नहीं किया गया है।
चित्र-28एसआइटी08-
बाहर से बहुत श्रद्धालु यहां आएंगे। श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कतें न हों, इसके इंतजाम होने चाहिए।
राहुल शर्मा चित्र-28एसआइटी09-
मिश्रिख में पंच कोसी परिक्रमा व मेले में लाखों लोग आते हैं। नपा को शीघ्र सभी इंतजाम करने चाहिए।
चंद्र कुमार सिंह चित्र-28एसआइटी10-
जहां श्रद्धालु रुकते हैं वहां साफ सफाई होनी चाहिए। जलभराव वाले स्थान पर मिट्टी पटान किया जाए।
अनिल मिश्रा चित्र-28एसआइटी11-
श्रद्धालुओं के लिए पानी, बिजली, ठहराव आदि की सुविधा सुनिश्चित की जाए। लोगों को कोई दिक्कत न हो।
विपिन गुप्ता वर्जन-
-जिन स्थानों पर जलभराव व कीचड़ है, वहां मिट्टी पटान सब दुरुस्त कर देंगे। दधीचि कुंड व सीता कुंड को खाली कराकर नया जल भरवाया जाएगा। जब तक श्रद्धालु यहां आएंगे, यह हो जाएगा।
गौरव रंजन, एसडीएम -श्रद्धालुओं को किसी तरह की समस्या नहीं होगी। तीन से चार दिन के अंदर यहां सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर लेंगे। इसके लिए काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है।
आरपी सिंह, ईओ नगर पालिका

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