एनएसआई की टीम करेगी जांच, सुधरेगी महमूदाबाद चीनी मिल की दशा
घाटे में चल रही सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद को सुधारने के लिए जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर ने पहल की है। चीनी का रिकवरी प्रतिशत बढ़ाने के लिए एनएसआई कान ...और पढ़ें

जगदीप शुक्ल, सीतापुर। घाटे में चल रहे सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद को उबारने के लिए जिलाधिकारी डा. राजा गणपति आर ने पहल कर दी है। चीनी का रिकवरी प्रतिशत बढ़ाने के लिए उन्होंने नेशनल सुगर इंस्टीट्यूट (एनएसआइ) कानपुर से मिल की जांच कराने जा रहे हैं। इसके बाद विशेषज्ञों के सुझावों को अमल में लाकर मिल की तकनीक में सुधार किया जाएगा।
दि सेकसरिया चीनी मिल बिसवां, डालमियां चीनी मिल रामगढ़ व जवाहरपुर और दि अवध शुगर मिल हरगांव एक क्विंटल गन्ना से 11 किलोग्राम से अधिक चीनी बना रही हैं। वहीं, सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद प्रति क्विंटल गन्ना से सिर्फ 8.66 किलोग्राम चीनी ही बना पा रही है।
पिछले दिनों जिलाधिकारी ने महमूदाबाद चीनी मिल का निरीक्षण किया था। इसमें उन्हें कई तरह की कमियां मिली थीं। इसके बाद उन्होंने चीनी मिल की जांच कराने के लिए एनएसआइ को पत्र लिखा है। एनएसआइ के विशेषज्ञ मिल की तकनीकी जांच करके आख्या जिलाधिकारी को देंगे।
केमिस्ट याेगेश कुमार ने बताया कि चीनी रिकवरी के तीन महत्वपूर्ण घटक होते हैं। एक तो देखरेख में अभाव में पूरा रस कढ़ाही तक नहीं पहुंचता है। दूसरा पेराई में कमी रहने पर खोईं में रस बाकी रह जाता है।
तीसरा मई यानी प्रेस मड में रस की मात्रा ज्यादा जाने लगती है। इन कमियों को सही करने के लिए एक बड़े मेकेनिकल बदलाव की जरूरत होती है। जांच के बाद एनएसआइ के विशेषज्ञ बताएंगे कि क्या बदलाव होना है।
दो बार हो चुका अपडेशन
महमूदाबाद चीनी मिल स्थापना वर्ष 1985 में हुई थी। शुरुआत में मिल 12,500 क्विंटल गन्ना की पेराई करता था। इसके बाद पेराई क्षमता बढ़ाने के लिए दो बार अपडेशन किया जा चुका है। फिलहाल, चीनी मिल में प्रतिदिन 27,500 क्विंटल गन्ना की प्रतिदिन पेराई की जा रही है।
19 हजार किसानों को सीधा फायदा
सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद को 19,000 किसान गन्ना आपूर्ति करते हैं। इसमें जिले के साथ ही बाराबंकी के 168 गांवों किसान भी शामिल हैं। चीनी की अच्छी रिकवरी न होने के चलते मिल घाटे में रहता है। इस वजह से किसानों का भुगतान सही समय पर नहीं हो पाता। किसान परेशान रहते हैं।
सहकारी चीनी मिल महमूदाबाद की रिकवरी ठीक नहीं है। वजह पता करने के लिए नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर को पत्र लिखा गया है। उनकी रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर मिल की दशा सुधारने के प्रयास किए जाएंगे।
-डाॅ. राजा गणपति आर. जिलाधिकारी

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