बिना मर्ज जाने इलाज करते रहे निजी चिकित्सक, चली गई किसान की जान
सीतापुर के लहरपुर में जापानी इंसेफेलाइटिस से पीड़ित एक किसान की निजी डॉक्टरों द्वारा बिना जांच के इलाज करने से मौत हो गई। किसान को बुखार था और उसे लखनऊ के एसजीपीजीआइ ले जाया गया जहाँ जेई की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है। एक अन्य महिला अंजू सिंह भी जेई से पीड़ित थी लेकिन इलाज के बाद ठीक हो गई।

जागरण संवाददाता, सीतापुर। स्थानीय स्तर की निजी चिकित्सा व्यवस्था सरकारी से भी बदतर है। निजी चिकित्सक पैसा कमाने के चक्कर में बीमारी की वजह तक जानना मुनासिब नहीं समझ रहे। बिना जांच कराए ही दवा देते रहते हैं। इसी के चलते लहरपुर के शरीफपुर कसमंडा मजरा बाकरनगर में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से पीड़ित किसान की मौत हो गई। उधर, स्वास्थ्य विभाग ने मौत का कारण जानने के लिए प्रकरण की जांच शुरू करा दी है।
किसान के बेटे नवल ने बताया कि उनके पिता 59 वर्षीय किसान युगल किशोर को काफी दिनों से बुखार आ रहा था। वह निजी अस्पतालों से इलाज करा रहे थे। आराम नहीं मिलने पर 18 सितंबर को उन्हें एसजीपीजीआइ ले गए, वहां जांच में जेई की पुष्टि हुई। इलाज के दौरान 20 सितंबर को उनकी मौत हो गई।
वहीं, जीतामऊ की अंजू सिंह भी जापानी इंसेफेलाइटिस से ग्रसित हैं। परिवारजन ने बताया कि बुखार के बाद एसजीपीजीआइ से इलाज के बाद अब वह स्वस्थ होकर घर लौट आईं हैं। सीएचसी अधीक्षक डा़ अरविंद बाजपेयी ने बताया कि जीतामऊ गांव में शिविर लगाकर जांच की जा चुकी है। कोई भी जेई का मरीज नहीं मिला है।
किसान की लखनऊ में इलाज के दौरान मौत किन कारणों से हुई है, इसका कारण जानने के लिए सोमवार को डिप्टी सीएमओ के नेतृत्व में एक टीम गांव जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करेगी।
-डाॅ. सुरेश कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।