श्रीअन्न से तैयार फास्टफूड देगा सेहत का स्वाद, बढ़ी रागी से बने मैकरोनी और पास्ता की डिमांड
सीतापुर के ओजोन फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप ने ‘श्री अन्न’ को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। समूह रागी से मैकरोनी और पास्ता बना रहा है जिसकी मांग मुंबई दिल्ली जैसे शहरों में है। इस सहकारी प्रयास से लगभग 2200 किसानों को लाभ हो रहा है क्योंकि उन्हें बीज खरीदने से लेकर फसल बेचने तक की चिंता नहीं है। इससे किसानों की आय बढ़ रही है।
दुर्गेश द्विवेदी, सीतापुर। आधुनिक जीवन शैली में जुबान को चपटपटे स्वाद के साथ ही शरीर को सेहत का धन यानी ‘श्री अन्न’ मिल जाए तो सोने पर सुहागा हो जाता है। इसी उद्देश्य के साथ ओजोन फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप नवाचार कर रहा है।
समूह की ओर से बनाए जा रहे रागी के मैकरोनी और पास्ता की मांग मुंबई, दिल्ली, कानपुर, बंगलूरू आदि महानगरों तक है। समूह के इस सहकारी प्रयास से श्रीअन्न की खेती करने वाले छोटी जोत के करीब 22,00 किसानों की खुशहाली की राह खुल गई है।
उन्हें बीज खरीदने से लेकर फसल बेचने तक चिंता नहीं है। इससे जहां उनकी आय बढ़ रही है वहीं स्वस्थ समाज के निर्माण में भी वे योगदान कर रहे हैं।
इन दिनों लोग अपनी सेहत को लेकर काफी जागरूक हो गए हैं और इसीलिए कई लोग अपनी डाइट में श्री अन्न को शामिल कर रहे हैं। श्रीअन्न सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। खुद पीएम मोदी कई बार इसके फायदों का जिक्र करते नजर आ चुके हैं। रागी इन्हीं में से एक है।
मछरेहटा के सड़िला गांव में गायत्री के खेत में लगी रागी की फसल : जागरण अर्काइव
मछरेहटा के ढारऊ के विकास सिंह तोमर ने ओजोन फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाकर रागी का उत्पादन शुरू किया है। इससे करीब 2200 किसान जुड़े हैं। इसमें 2,000 किसान जैविक तरीके से रागी का उत्पादन करते हैं, जबकि 200 लोग प्रोसेसिंग से जुड़े हैं।
अभी यह किसान एक वर्ष में सिर्फ पांच हजार क्विंटल रागी का ही उत्पादन कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं वह मैकरोनी और पास्ता जैसे उत्पाद बनवाकर बिक्री भी करवाते हैं।
रागी जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के मध्य तक बोई जाती है। इसे तैयार होने में करीब चार माह का समय लगता है। चार बीघे में करीब सात क्विंटल रागी का उत्पादन होता है, जिससे 24 हजार की कमाई हो जाती है। हमको बीज से लेकर फसल की बिक्री तक की चिंता नहीं करनी पड़ती। सब समूह से ही हो जाता है।
सर्वेश, किसान, पिसावां।
फास्ड फूड के बढ़ते चलन के बीच रागी जैसे मोटे अनाजों के मैकरोनी और पास्ता बनाने की पहल से हम छोटी जोत के किसानों के लिए वरदान है। इसमें ज्यादा खर्च भी नहीं होता और समूह ही फसल की खरीदारी भी कर लेता है। दो बीघा खेत से दस हजार रुपये से अधिक की बचत चार माह में हो जाती है।
मनोज, किसान,सहजनिया।
मांग के सापेक्ष उत्पादन कम
फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप के अध्यक्ष विकास सिंह तोमर बताते हैं। प्रत्येक माह विभिन्न महानगरों से करीब 100 क्विंटल रागी की माइक्रोनी और पास्ता का आर्डर मिलता है, लेकिन आपूर्ति नहीं हो पाती। इसकी वजह रागी का मांग के अनुरूप उत्पादन कम होना है।
ग्लूटेन से मुक्त है रागी
डा. राजकिशोर टंडन ने बताया कि रागी आर्गेनिक और ग्लूटेन (यह एक तरह का प्रोटीन है जो गेहूं और जौ में पाया जाता है) फ्री अनाज है। रागी प्लांट बेस्ड एमिनो एसिड का बेहतरीन स्रोत है। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है।
इसमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन ई, प्रोटीन, एंटी आक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर मात्रा में होता है। बताया कि किडनी, यूरेकि एसिड, एलर्जी व थायराइड के मरीजों को रागी से बने खाद्य पदार्थो के सेवन से परहेज करना चाहिए।
ओजोन फार्मर प्रोड्यूसर ग्रुप कई मामलों में नवाचार कर रहा है। रागी से बने मैकरोनी-पास्ता के साथ ग्रुप की ओर से तैयार किया गया आर्गेनिक गुड़ की भी महानगरों में खूब मांग है।
मनजीत सिंह, जिला कृषि अधिकारी।
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