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    सेतुवाही सोमवती अमावस्या आज

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 15 Apr 2018 09:21 PM (IST)

    नैमिषारण्य (सीतापुर) : इस बार वैशाख मास में सोमवती अमावस्या का योग पड़ रहा है। ¨हदू धर्म में

    सेतुवाही सोमवती अमावस्या आज

    नैमिषारण्य (सीतापुर) : इस बार वैशाख मास में सोमवती अमावस्या का योग पड़ रहा है। ¨हदू धर्म में इस अमावस्या को बहुत खास माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि वैशाख मास भगवान विष्णुजी को काफी प्रिय है। साथ ही वैशाख मास की अमावस्या को सत्तू दान करने और प्रसाद रूप में खाने की परंपरा रही है। जिसके चलते इस अमावस्या को सेतुवाही अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन तीर्थ नैमिषारण्य, प्रयाग, हरिद्वार, बनारस, अयोध्या आदि तीर्थों में स्नान पूजन व पितृकर्म करने के बाद सत्तू दान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है।

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    नक्षत्रों का अनूठा संयोग

    सोमवती अमावस्या पर सूर्य-चंद्रमा मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में रहेंगे। इस बार वैशाख मास और अश्विनी नक्षत्र का यह संयोग 17 साल बाद बना है। इसके बाद ऐसा शुभ संयोग 10 साल बाद 24 अप्रैल 2028 को बनेगा। सात्विक और देवगण वाले इस नक्षत्र के साथ सोमवार और अमावस्या का संयोग बनने से यह दिन पितृ पूजा, पितृ दोष और कालसर्प दोष की शांति के लिए महत्व रखता है। शुकदेव मुनि व पाराशर ऋषि जयंती

    5 मई 2008 को वैशाख में पड़ी सोमवती अमावस्या के बाद 10 साल बाद यह विशेष संयोग बना है। अर्थात् 16 अप्रैल को 10 साल बाद वैशाख सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शुकदेव मुनि व पाराशर ऋषि जयंती भी रहेगी। साथ ही सोमवार के दिन वैशाख अमावस्या पड़ना अति लाभदायक है। सेतुवाही सोमावती अमावस्या का योग

    इस बार वैशाख अमावस्या का योग 15 अप्रैल 2018 को शाम 8:37 बजे से प्रारंभ होकर 16 अप्रैल की शाम 7:26 तक रहेगा। इस दौरान पितृकर्म के लिए 15 अप्रैल का दिन शुभ रहेगा, जबकि 16 अप्रैल को पूरा दिन स्नान दान व पूजन की सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। इन विधानों का महत्व

    इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के पेड़ की दूध, जल, फूल, चावल और चंदन से पूजा की जाती है। फिर पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा की जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी बहुत महत्व है। इस दिन सत्तू दान करना, गरीबों को भोजन करवाना, वस्त्र भेंट करना, फलों का दान आदि करने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं। इससे धन, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा और समस्त प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त किया गया दान पितृ दोष और कालसर्प दोष से भी मुक्ति दिलाता है।

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