जलकुंभी और सिल्ट से पटी सरायन नदी, मिटने के कगार पर अस्तित्व
सीतापुर सरायन नदी अस्तित्व बचाने को संघर्ष कर रही।

जलकुंभी और सिल्ट से पटी सरायन नदी, मिटने के कगार पर अस्तित्व
चंद्रकिशोर पांडेय, सीतापुर
ग्रामीणों के लिए कभी जीवनदायिनी रही सरायन नदी सिल्ट और जलकुंभी के जमाव के चलते अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। नदी का प्राकृतिक स्वरूप बहाल करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। हरगांव के हैदरपुर के पास से निकली सरायन नदी 91 किलोमीटर की दूरी तय कर सिधौली के हिंडौरा के पास गोमती नदी में मिल जाती है। नदी जलकुंभी व सिल्ट से पट गई है। दूषित जल के कारण जलीय जीव जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो रहा है। कभी यह नदी अपने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण थी। प्रदूषण व जगह-जगह कब्जे व निर्माण से नदी का आकार नाले की तरह हो गया है।
विज्ञानी एवं पर्यावरण प्रेमी डा. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि नदियों को प्रदूषित कर उनका वजूद खतरे में डालने के लिए हम सब जिम्मेदार हैं। शासन व प्रशासन भी नदियों के प्रति गंभीर नहीं है। छोटी-छोटी नदियों का अस्तित्व खत्म हो रहा है। सरायन नदी भी नाला सरीखी दिखने लगी है। ऐसा रहा तो प्राकृतिक व्यवस्था बिगड़ेगी।
उप जिलाधिकारी सिधौली अजय कुमार सिंह ने बताया कि सरायन नदी में मुरहाडीह के पास प्रदूषण व गंदा पानी छोड़ने की जांच कराएंगे। नदी की जमीन पर कब्जे का मामला संज्ञान में नहीं है। राजस्व कर्मियों से जानकारी करेंगे। इसको लेकर उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा। नदी के जल को स्वच्छ रखने के लिए सभी को सहयोग करना चाहिए।
यहां से गुजर रही सरायन नदी :
हरगांव के हैदरपुर से सीतापुर, बरई जलालपुर, कमलापुर, लालपुर घाट, भानपुर, लखनापुर, नयागांव, मोहनापुर, बगुलापारा, बाड़ी, शाहपुर खेरवा, ठठूरा, बल्लई, पहाड़पुर, भागूपुर, बसईडीह, बहरीमऊ, जटहा, मोहिद्दीनपुर और कोनीघाट होकर भटपुर के निकट हिंडौरा के पास गोमती में मिल जाती है सरायन नदी।
फाइलों में कैद कवायद :
सरायन नदी को पुराना स्वरूप दिलाने की कवायद फाइलों में कैद होकर रह गई। 2017 में तत्कालीन जिलाधिकारी डा. सारिका मोहन और 2018 में शीतल वर्मा ने सरायन नदी के पुनरुद्धार का प्रयास किया था। नदी के तट पर पौधारोपण, सफाई आदि का खाका खींचा गया था। अधिकारियों के तबादले के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
नदी की जमीन पर अवैध कब्जे :
हैदरपुर से हिंडौरा तक नदी की जमीन पर कब्जे व निर्माण हो गए हैं। इससे भी नदी के प्राकृतिक स्वरूप को नुकसान पहुंचा। नदी की जमीन पर आज भी कब्जा है। कोई खेती कर रहा तो कोई मकान बनाकर रह रहा है। अनदेखी भी नदी के स्वरूप को बिगाड़ने का बड़ा कारण है।
विधायक व नपा अध्यक्ष का प्रयास भी विफल :
सीतापुर सदर के पूर्व विधायक राकेश राठौर ने नगर में सरायन नदी का प्राकृतिक स्वरूप बहाल करने की पहल की थी। कहा गया था कि नदी की सफाई कराकर तटबंधों पर पौधारोपण किया जाएगा। पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष आशीष मिश्र ने भी नदी की सफाई मशीन से कराने की शुरुआत की थी। इस मुहिम को बल नहीं मिलने से सकारात्मक परिणाम नहीं निकले।
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