धनतेरस के दिन रजिस्ट्री कार्यालय में खूब बरसा धन
- रजिस्ट्री कार्यालय में नजर आई जमीन खरीदारों की भीड़।
सीतापुर : लंबे समय बाद, जमीन के बैनामे में धनतेरस के दिन धन की वर्षा हुई। रजिस्ट्री कार्यालय में धनतेरस को ही दीपावली हो गई। एक दिन में 70 लोगों ने जमीन की रजिस्ट्री कराई। कई का बैनामा पेंडिग रह गया। खरीदार और बेचने वालों की भीड़ पूरे दिन रजिस्ट्री कार्यालय के गेट पर बनी रही। धनतेरस के दिन स्टांप व शुल्क मिलाकर करीब 36 लाख रुपये का काम हुआ। धनतेरस से दो दिन पहले भी रजिस्ट्री का काम अच्छा हुआ। दो दिनों में 50 लाख से अधिक का शुल्क व स्टांप की फीस जमा हुई। लोगों ने धनतेरस के मौके पर जमीन की खरीद-फरोख्त में दिलचस्पी दिखाई। बता दें कि, लॉकडाउन के बाद नवरात्र से रजिस्ट्री के काम में तेजी आई है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और ई-स्टंपिग के जरिए जमीन की खरीद-फरोख्त का का काम किया गया। धनतेरस में जमीन के बैनामे का काम और अधिक हुआ।
गुरुवार तक हुई 72 रजिस्ट्री
रजिस्ट्री कार्यालय के अनुसार धनतेरस के दो दिन पहले से ही जमीन का बैनामा कराने वालों की संख्या में इजाफा हो गया था। मंगलवार से गुरुवार तक 72 रजिस्ट्री कराई गई। बुधवार को 29 लोगों ने जमीन का बैनामा कराया। मंगलवार व बुधवार को मिलाकर स्टांप व रजिस्ट्री शुल्क मिलाकर 50 लाख से अधिक की आय हुई।
लगा शिल्प बाजार, मिट्टी के दीये और कलश की बिक्री
सीतापुर : अस्थायी शिल्प बाजार का आयोजन बड़े स्तर पर तो नहीं हो सका, लेकिन मिटटी के उत्पादों की बिक्री के लिए शहर में कई स्थानों पर दुकानें लगवाई गईं। माटीकला बोर्ड की ओर से कैंची पुल, लालबाग पार्क, ट्रांसपोर्ट चौराहे के समीप मिटटी के उत्पादों की बिक्री की गई। कुम्हारों ने मिटटी के दिये व कलश की बिक्री की।
जिला ग्रामोद्योग अधिकारी आरके श्रीवास्तव की अगुवाई में विभागीय कर्मचारियों ने इन स्थानों का भ्रमण किया। शिल्प बाजार का बैनर भी लगाया गया। बता दें कि, अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने डीएम को पत्र जारी कर अस्थायी शिल्प बाजार लगवाए जाने का निर्देश दिया था। दीपावली तक लगने वाले शिल्प बाजार का उददेश्य माटीकला के शिल्पकारों (कुम्हारों)के उत्पादों का प्रचार-प्रसार और बिक्री करना था। शिल्प बाजार लगाने के लिए धनराशि भेजे जाने की बात तो कही गई थी, लेकिन धनराशि मुहैया नहीं कराई गई। जिला ग्रामोद्योग अधिकारी ने बताया कि, धनराशि नहीं मिल पाई थी। इसके लिए पांडाल आदि का इंतजाम नहीं हो पाया। शिल्प बाजार में माटीकला शिल्पकारों की दुकानें लगवाई गईं। शहर के अलावा कमलापुर में भी दुकानें लगवाई गई थीं।
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