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    यहां तो 21 साल से झुला रहे गुड़िया

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 13 Aug 2018 11:37 PM (IST)

    सीतापुर : 'गुड़िया पीटो नहीं झुलाओ' की शुरुआत वर्ष 1997 में ऋचा ¨सह ने सीतापुर के मिश्रिख ...और पढ़ें

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    यहां तो 21 साल से झुला रहे गुड़िया

    सीतापुर : 'गुड़िया पीटो नहीं झुलाओ' की शुरुआत वर्ष 1997 में ऋचा ¨सह ने सीतापुर के मिश्रिख तहसील के 15 गांवों से की थी। इसके बाद अब इस कार्यक्रम को महिला सामाख्या के कार्यकर्ता गति दे रहे हैं। पूर्वांचल के जौनपुर की ऋचा ¨सह तब महिला सामाख्या की सक्रिय वर्कर थीं, वर्तमान में ये संगतिन किसान मजदूर संगठन के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रही हैं। ऋचा बताती हैं कि वह सीतापुर में फरवरी 1997 में सहारनपुर जिले से ट्रांसफर होकर आईं थीं। अब ये सीतापुर शहर के सुदामापुरी मुहल्ले में बस गईं हैं। इनका कहना है कि गुड़िया नारी का ही प्रतीक है और नारी सम्मान की अधिकारी है, न की अपमान की। ऋचा ने वर्ष 1998 में नैमिषारण्य तीर्थ स्थल पर 5 हजार से अधिक लोगों के साथ नाग पंचमी के दिन गुड़िया पीटने के बजाए उसे सम्मान से झुलाने का सफल कार्यक्रम किया था। इसके बाद महिला समाख्या जिले के 500 से अधिक गांवों में नाग पंचमी पर्व के कुछ दिन पहले से गुड़िया झुलाने का कार्यक्रम करती आ रही हैं।

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    बच्चे की पहचान मां-बाप दोनों से हो : ऋचा ¨सह कहती हैं कि समाज बेटी-बेटों को मां के नाम से नहीं, बल्कि बाप के नाम से पहचाना जाता है, जबकि जननी व लालन-पालन करने वाली मां है। उन्होंने अपने बेटे के नाम में अपना नाम जोड़ा है। उसका नाम पार्थऋचा है।

    आठ ब्लॉकों में हो रहे कार्यक्रम : महिला सामाख्या की पिसावां ब्लॉक को-ऑर्डीनेटर अनुप्रास मिश्रा गुड़िया झुलाने में व्यस्त हैं। इस बार 8 ब्लॉकों के सभी गांव और ब्लॉक स्तर पर गुड़िया झुलाने का कार्यक्रम है। इनमें अभी तक बिसवां, खैराबाद ब्लॉक में कार्यक्रम हो चुके हैं। शनिवार को महोली ब्लॉक में गुड़िया झुलाने का कार्यक्रम हुआ। अभी पिसावां, मिश्रिख, परसेंडी, लहरपुर व गोंदलामऊ ब्लॉक के सभी गांवों में ये कार्यक्रम करने हैं। नाग पंचमी के दिन नैमिषारण्य में गुड़िया झुलाने का बड़ा कार्यक्रम कर समापन होगा।

    नारी के सम्मान में जुटीं ये महिलाएं : गुड़िया को झूला झुलाने के लिए महिला सामाख्या की अनुप्रास मिश्रा, नींबू कली, रामरती, माया, रामबेटी आदि महिलाएं मिशन बनाकर काम कर रही हैं। गुड़िया मां, बहन-बेटी के रूप में होती हैं, इसलिए कुरीतियों व पिछड़ापन का अंत हो और मां-बेटियों का सम्मान मिले।