Sitapur: जलकुंभी से पटी अर्द्धचंद्राकार झील से विदेशी परिंदों ने किया किनारा, संवारने को भेजा गया प्रस्ताव
अजयपुर झील को संवारने को एक जिला-एक गंतव्य (वन डिस्ट्रिक्ट-वन डेस्टिनेशन) के तहत करीब डेढ़ करोड़ रुपये की कार्ययोजना वन विभाग के उच्चाधिकारियों की भेजी है। प्रस्ताव को स्वीकृति मिली तो जल्द ही जिले में में अजयपुर झील को ईको टूरिज्म की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

सीतापुर, [निर्मल पांडेय]। अजयपुर झील में अब न ही ‘विदेशी मेहमान’ आते हैं और न ही यहां कमल के फूल दिखते हैं। अब केवल जलकुंभी है। वैसे इस झील में अभी भी काफी हिस्से में पानी है लेकिन, अनदेखी का शिकार होने से यहां अब कोई पर्यटक भी नहीं आता है। झील के आसपास कोई भी विकास कार्य नहीं हैं। हां, तत्कालीन डीएम संजय कुमार के स्तर से 2010 में कराए गए विकास कार्यों के अवशेष जरूर नजर आते हैं।
वैसे ये झील जिले की सबसे बड़े क्षेत्रफल वाली है। इसका आकार 92 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला है। झील अंग्रेजी के अक्षर ‘यू’ आकार में है। वेटलैंड को सहेजने सरकारी स्तर से भी बार-बार कहा जा रहा है लेकिन, इन निर्देशों का असर भी जिले की झीलों पर नजर नहीं आता है। वह चाहे अजयपुर झील हो या अन्य झीलें।
कई झीलों पर कब्जेदारी की भी शिकायतें हैं। अजयपुर और शालपुर के ग्रामीण कहते हैं कि उनके यहां सबसे प्रमुख पर्यटक स्थल झील ही है, जिसे करीब 12 साल पहले किसी अधिकारी ने जरूर संवारा था लेकिन, उसके बाद किसी भी जिलाधिकारी या वन विभाग के अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। अजयपुर झील आज बदहाल अवस्था में है।
कभी पर्यटकों को लुभाती थी झील : शालपुर के पूर्व प्रधान सत्येंद्र कुमार मिश्र, ब्रजेश कुमार, रामेश्वर बताते हैं कि एक समय था जब यहां अजयपुर झील पर नवंबर महीने में ‘विदेशी मेहमान’ पक्षियों का आना शुरू हो जाता था और वह दिसंबर तक आते रहते थे। फिर मार्च में अपने वतन को लौटते थे। इन पक्षियों की चहचहाहट पर्यटकों को खूब लुभाती थी। इनका कलरव देखते बनता था। हर रोज दूर-दूर तक के पर्यटक आते थे। झील में ढेरों कमल खिलते थे। प्रात: काल में यहां का दृश्य अत्यंत मनोरम होता था। भगवान सूर्य की प्रथम किरणों से झील का सौंदर्य कल्पना से भी परे होता था।
क्या कहती हैं प्रधान : शालपुर प्रधान रचना मिश्रा कहती हैं कि अजयपुर झील अर्द्धचंद्राकार का है, इसमें जलकुंभी के अलावा कुछ भी नहीं है। अब कमल भी नहीं खिलते हैं। उन्होंने बताया, झील पर डीएम, सीडीओ, डीसी मनरेगा, डीएफओ, बीडीओ समेत तमाम अधिकारी आए और चले गए लेकिन, झील का कायाकल्प नहीं हो पाया।
अजयपुर झील पर ऐसे पहुंचें : अजयपुर झील सीतापुर मुख्यालय से 70 किमी दूर है। यहां पहुंचने के लिए आपको पहले बिसवां होकर रेउसा ब्लाक मुख्यालय पहुंचना होगा। फिर रेउसा से तंबौर मार्ग पर 10 किमी चलने पर भिठौली चौराहे से दाएं काशीपुर-मल्लापुर मार्ग पर पांच किमी का सफर करना रहेगा। यहीं से दाएं मोड़ पर शालपुर संपर्क मार्ग है, जिस पर डेढ़ किमी सफर करने पर आप झील पर पहुंचेंगे।
वन डिस्ट्रिक्ट-वन डेस्टिनेशन में भेजा डेढ़ करोड़ का प्लान : डीएफओ बृजमोहन शुक्ल का कहना है कि उन्होंने आज ही (शुक्रवार) अजयपुर झील को संवारने को एक जिला-एक गंतव्य (वन डिस्ट्रिक्ट-वन डेस्टिनेशन) के तहत करीब डेढ़ करोड़ रुपये की कार्ययोजना वन विभाग के उच्चाधिकारियों की भेजी है। प्रस्ताव को स्वीकृति मिली तो जल्द ही जिले में में अजयपुर झील को ईको टूरिज्म की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इससे पर्यटक बढ़ेंगे और उसके माध्यम से रोजगार-आमदनी के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी बढ़ावा मिलेगा।
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