टीबी मरीज के परिवारजन को संक्रमण से बचाव की 'डोज'
मरीज के परिवार के सदस्यों को दी जा रही है आइसोनिजाइड दवा की खुराक।

सीतापुर : अब मरीज के परिवारजन को टीबी से बचाने की पहल की गई है। मरीज के परिवार के प्रत्येक सदस्य को टीबी संक्रमण से बचाने का प्रयास शुरू किया गया है। मरीज के परिवार के सभी सदस्यों को बचाव की दवा दी जाएगी। परिवारजन को यह दवा, छह माह तक खानी होगी। बचाव के उपायों पर भी अमल करना होगा। जागरूक भी किया जाएगा। विभाग ने दवा वितरण काम भी शुरू कर दिया है। चिह्नित मरीजों के परिवार तक दवाई पहुंचाई जा रही है। दवा खाने का तरीका भी समझाया जा रहा है।
उप जिला क्षय रोग अधिकारी डा. शोएब अख्तर ने बताया कि टीबी रोगी के परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए आइसोनिजाइड दवा की खुराक दी जा रही है। कार्यक्रम के पहले चरण में यह दवा रोगी के परिवार में पांच वर्ष आयु तक के बच्चों को दी जा रही है। जल्द ही परिवार के सभी सदस्यों को दी जाएगी।
प्रोजेक्ट 'जीत' से टीबी के संक्रमण को रोकने का प्रयास :
टीबी मरीज के परिवारजन को बीमारी से बचाने की इस पहल को प्रोजेक्ट जीत नाम दिया गया है। कार्यक्रम की शुरूआत जनवरी के पहले सप्ताह से हुई है। मरीज के परिवार के सदस्यों को संक्रमण से बचाव के लिए आइसोनिजाइड दवा दी जा रही है। दवा के सेवन की जानकारी भी दी जा रही है।
प्रिवेंशन आफ टीबी प्रोग्राम में सभी का सहयोग :
मरीज के परिवारजन को संक्रमण बचाने के लिए क्षय रोग विभाग की ओर से प्रिवेंशन आफ टीबी अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में निजी व सरकारी चिकित्सकों से सहयोग लिया जा रहा है। जिला पीपीएम समन्वयक आशीष कुमार दीक्षित ने बताया कि मरीज के परिवार को टीबी के संक्रमण से बचाने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि मरीजों को दवा और पोषण भत्ते के तौर पर पांच सौ रुपये प्रतिमाह भेजे जा रहे हैं।
आंकड़ों में टीबी मरीज और उपचार
- 13,525 टीबी मरीज मिले थे खोजी अभियान में
- 5,410 मरीज स्वस्थ हुए (जनवरी से जून 2021 तक)
- 8,115 टीबी मरीजों का उपचार चल रहा है
- 03 सीबीनाट मशीनें हैं जिले में जांच के लिए
- 12 ट्रू नाट मशीनें भी हैं जांच के लिए
- 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं मरीजों को
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