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    नैमिष में कथा सुनने का विशेष महत्व

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    Updated: Fri, 20 Apr 2012 09:44 PM (IST)

    नैमिषारण्य, (सीतापुर), नैमिषारण्य जैसी पवित्र भूमि विश्व में कहीं भी नहीं है। नैमिष की भूमि पर जिसने भगवत कथा सुन ली उसका कल्याण हो गया। यहां की धरती पर पैर रखने मात्र से पापों का निवारण हो जाता है। नैमिष की पवित्र भूमि वंदनीय है। यह बात यहां चल रही 108 कुंडीय श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ एवं ऋषि सत्र के चौथे दिन प्रवचन करते हुए नैमिष व्यास पीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री ने कही।

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    व्यास ने कहा कि जब दिल्ली का अस्तित्व नहीं था उस समय इस स्थान पर धर्म सभा जुटी थी। जिसमें नारद जी ने भगवान विष्णु से प्रश्न किया कि संसार में मनुष्य सब कुछ होते हुए भी दुखी क्यों है। भगवान विष्णु ने नारद जी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि यदि मनुष्य समस्याओं से मुक्ति पाना चाहता है तो वह सत्यनारायण भगवान की कथा सुने और व्रत रखे। धर्म सभा में उन्होंने श्री सत्य नारायण के विषय में विस्तृत रूप से बताया। श्री का अर्थ होता है लक्ष्मी और सरस्वती। यदि मनुष्य सरस्वती को पाना चाहता है तो उसे सत्य बोलना चाहिए और लक्ष्मी के लिए नारायण की पूजा करे। लक्ष्मी जी अपने आप आ जाएगी। अत: मनुष्य सत्यनारायण का व्रत करे।

    व्यास ने सत्य नारायण के तीसरे अध्याय के विषय में बताया कि साधू बनिया से भगवान सत्य नारायण ने दंडी भेष में पूछा कि तुम्हारी नाव में क्या है। उसने जवाब दिया कि नाव में केला पत्ते भरे हुए थे। भगवान ने कहा कि तुम्हारा वचन सत्य हो। कुछ देर बाद नाव को ऊंची उठी देखकर बनिया निकट पहुंचा तो धन, धान्य गायब था। उसके स्थान पर केला व पत्ते भरे थे। जिसे देखकर वह जमीन पर अचेत होकर गिर पड़ा।

    ऐसा इसलिए हुआ कि उसने सत्य नहीं बोला था। इससे उसके पास से लक्ष्मी चली गई। जो लोग सत्य नहीं बोलते उनके पास लक्ष्मी व सरस्वती चली जाती है। व्यास ने कहा कि भगवान की कथा सुनने सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे पूर्व व्यास जी का डॉ एसआर सिंह, हरि भूषण, हरि शरण वाजपेयी ने स्वागत किया। मंच संचालन राज नरायन पांडेय ने किया।

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