Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुमनाम हो गया सुदामा चरित्र रचयिता

    By Edited By:
    Updated: Sat, 19 Nov 2011 09:44 PM (IST)

    ...और पढ़ें

    Hero Image

    सीतापुर, 'सीस पगा न झगा तन पे प्रभु जाने को आहि बसे केहि ग्रामा'. यह छंद एक 'सुदामा चरित्र' काव्य संग्रह का है। यह एक ऐसा काव्य संग्रह है जिसकी वजह से जनपद के छोटे से गांव 'बाड़ी' में जन्म लेने वाले कवि 'नरोत्तमदास' को उन कृष्ण भक्त कवियों में शामिल कर दिया था जो अनेकों ग्रंथ लिखने के बाद ख्याति अर्जित कर सके थे। हालांकि यह भी कहा जाता है कि उन्होंने सुदामा चरित्र के अलावा भी अनेक काव्यसंग्रह लिखे होंगे परंतु वह अनुपलब्ध हैं। उस समय हिंदी काव्य जगत में ख्याति प्राप्त करने वाले कवि की जन्मस्थली आज उपेक्षा का शिकार है। नरोत्तमदास का जन्म कब हुआ इस बारे में अलग अलग अलग मान्यताएं हैं। हाईस्कूल में पढ़ाई जाने वाली काव्य संकलन के अनुसार जन्म 1493 में होना बताया जाता है, जबकि पं. राम चंद्र शर्मा की पत्रिका सुमन संचय में 1550 का जिक्र है। मृत्यु 1602 में हुई। उनके माता पिता का नाम क्या था इस बारे में किसी को भी कुछ पता नहीं है। उन्होंने यहीं सन् 1582 में 34 पृष्ठों का सुदामाचरित्र हिंदी काव्य ग्रंथ लिखा था। इस ग्रंथ में उन्होंने भगवान कृष्ण व सुदामा की मित्रता का वर्णन किया था। जिसमें भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का मार्मिक वर्णन है। इस काव्य संग्रह ने नरोत्तमदास को इतनी ख्याति दिलाई जितनी उस समय के कवि अनके ग्रंथ लिखने के बाद प्राप्त करते किए थे। लेकिन इनके इस काव्य संग्रह को सुरक्षित न रखने के कारण आज उसमें के कुछ ही छंद प्राप्त हैं शेष अभी भी अप्राप्त हैं। इसी तरह जिस घर में कभी रोज साहित्यकारों की भीड़ लगी रहती थी तथा शाम होते ही श्रीकृष्ण भक्तों का जमावड़ा लगता था। भजन कीर्तन होते थे वहां आज सन्नाटा छाया रहता है। जन्म स्थली पर बनी कुटी की देखरेख कर रहे बाबा मुरलीदास का कहना है। कुटी का जीर्णोद्धार हिंदी सभा के तत्वाधान में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने 13 नवंबर सन् 1953 में कराया था। उसके बाद सन् 1978 में तथा 2001-02 में 9 लाख रुपये से पर्यटन विभाग द्वारा कार्य कराया गया। लेकिन उसके बाद उस ओर ध्यान न देने कारण यह सब स्मृतियां नष्ट होने की ओर हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इनसेट

    डॉ. सारस्वत ने खोजा था 'ध्रुव चरित्र'

    नरोत्तमदास की अनुपलब्ध रचनाओं में से एक धु्रव चरित्र के 28 छंदों को हिंदी सभा के पूर्व अध्यक्ष स्व. डॉ. गणेशदत्त सारस्वत ने खोज निकाला था। आज यह छंद हिंदी सभा पुस्तकालय में सुरक्षित हैं।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर