ज्ञानेश्वरी पाठ से मानव कर्तव्य का मार्ग प्रशस्त होता
सीतापुर: ज्ञानेश्वरी पाठ को श्रद्धापूर्वक पढ़ने और मनन करने से मन को बेहद शांति मिलती है। इस दिव्य ग
सीतापुर: ज्ञानेश्वरी पाठ को श्रद्धापूर्वक पढ़ने और मनन करने से मन को बेहद शांति मिलती है। इस दिव्य ग्रंथ के पाठ से इस संसार में मानव कर्तव्य का मार्ग प्रशस्त होता है। इस ग्रंथ में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की अमृतवाणी का संत ज्ञानेश्वर ने मराठी भाषा में अनुवाद कर प्रभु और भक्तों के मध्य एक अटूट सेतु का निर्माण किया है। जिससे समस्त महाराष्ट्र का भक्त समुदाय इस ग्रंथ का आनंद प्राप्त कर सकता है। यह बात मंगलवार को कालीपीठ के कथा प्रांगण में वारकरी संप्रदाय मंडल पनवेल (महाराष्ट्र) के सानिध्य में आयोजित अखंड हरिनाम सप्ताह व ज्ञानेश्वरी पारायण अनुष्ठान में पंच व्यास पीठ चालक वामा महराज, न्यूरुति महाराज, भरत महराज, सुरेश महराज, बबन महाराज ने सैकड़ों की संख्या में पाठ कर रहे महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं को सुनाई।
कार्यक्रम में करीब 900 भक्तों ने आध्यात्मिक गीता ग्रंथ के मराठी संत ज्ञानेश्वर द्वारा विरचित मराठी संस्करण ज्ञानेश्वर पारायण का सस्वर पाठ किया। पंच व्यास चालक बताते है कि ज्ञानेश्वरी ग्रंथ भगवत गीता का ही मराठी संस्करण है। जिसमें गीता के 700 श्लोकों का संत ज्ञानेश्वर ने अनुवाद किया है। इस कार्यक्रम के बारे में कालीपीठ संचालक भास्कर शास्त्री ने बताया कि इस कार्यक्रम में सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक व दोपहर दो बजे से शाम पांच बजे तक ज्ञानेश्वरी पारायण पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इसके बाद शाम पांच बजे से छह बजे तक प्रवचन, शाम छह बजे से सात बजे तक हरिपाठ व शाम को 7.30 से रात नौ बजे तक कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है।
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