बाढ़ पीड़ितों ने बनाया संघर्ष मोर्चा और फूंका बिगुल
सीतापुर : विभिन्न समस्याओं की सुनवाई नहीं होने पर रामपुर मथुरा क्षेत्र के मुखर हुए बाढ़ पीड़ितों ने र
सीतापुर : विभिन्न समस्याओं की सुनवाई नहीं होने पर रामपुर मथुरा क्षेत्र के मुखर हुए बाढ़ पीड़ितों ने रविवार को घाघरा कटान रोको संघर्ष मोर्चा का गठन कर जोरदार प्रदर्शन किया। इस बीच मोर्चा से जुड़े सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों ने घोषणा की है कि वह सभी आगामी 27 जनवरी को जन जागरण यात्रा निकालकर आंदोलन की गति को तेज करेंगे। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन उस समय तक जारी रहेगा, जब तक बाढ़ पीड़ितों की सभी समस्याओं का निस्तारण नहीं होगा।
गांजर स्वाभिमान मंच के नेृतत्व में एकजुट हुए रामपुर मथुरा क्षेत्र के बाढ़ पीड़ितों ने घाघरा नदी की सहायक गोबरहिया नदी के बांके घाट पर बैठक की। इस दौरान मौजूद सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों से विचार करने के बाद मंच के संयोजक राम मनोरथ अवस्थी ने घाघरा कटान रोको संघर्ष मोर्चा का गठन किया। इसमें बेनीराम यादव को संयोजक और रामफल भारती को सह संयोजक घोषित किया गया है। कटान रोको संघर्ष मोर्चा के दोनों नेताओं ने बताया कि 27 जनवरी को रामपुर मथुरा कस्बे में जन जागरण यात्रा निकालकर आंदोलन की गति को बढ़ाया जाएगा। और उसी दिन यात्रा समापन के बाद ब्लाक के बीडीओ को मांग पत्र सौंपा जाएगा। नेताओं ने कहा कि इसके बाद भी समस्याओं का निस्तारण नहीं होने पर वह लोग तहसील मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे और उप जिलाधिकारी को मांग पत्र सौंपेंगे। बैठक में मौजूद बाढ़ पीड़ित भगवत निषाद, राम चरण चौहान, प्रेमचंद्र भारती, बैजू निषाद, सिपाही लाल, मंगल प्रसाद, श्याम प्यारी, राजाराम निषाद ने कहा कि घाघरा नदी से क्षेत्र हर साल बाढ़ में शुकुलपुरवा, अटौरा, कनरखी और अंगरौरा गांव में बड़े स्तर पर तबाही मचती है। इन गांवों के सैकड़ों परिवारों के आशियाने नदी की बाढ़ में बह जाते हैं। और प्रशासन पीड़ितों को मदद के नाम पर सिर्फ लइया बांटकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि कटान रोको संघर्ष मोर्चा के गठन के समय 51 बाढ़ पीड़ित शामिल हुए हैं। उन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर बताया कि अधिकांश बाढ़ पीड़ित घाघरा नदी के कटान से बेघर हो चुके हैं, उनके पास जीवन यापन करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। गरीबी की आलम यह है कि बच्चों की शिक्षा की तो बात ही दूर है उनका पेट भर पाना मुश्किल हो रहा है। घर के साथ ही कृषि योग्य जमीन नदी की रेत में शामिल हो गई। ऊपर से बाराबंकी ¨सचाई विभाग के बाढ़ खंड द्वारा घाघरा नदी के तट पर निर्मित कराए जा रहे बंधा में पट्टा धारकों की जमीन जबरन हथिया ली गई है। इसके बदले संबंधित लोगों को कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया। इतना ही नहीं सैकड़ों किसानों के हरे-भरे खेतों को जेसीबी मशीनों से खोद डाला गया, जिसमें मिट्टी खोदाई के बदले किसानों को मुआवजा देने में कंजूसी बरती जा रही है। उन्होंने कहा कि बाढ़ से बेघर हुए पीड़ितों को आवासीय भूमि का पट्टा भी नहीं दिया जा रहा है।
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