रामपुर मथुरा का ऐतिहासिक मुरलीधर मेला शुरू
रामपुर मथुरा (सीतापुर): कस्बे का एतिहासिक एवं पौराणिक मुरलीधर मेला शुरू हो गया है। इस मेले में प्रत
रामपुर मथुरा (सीतापुर): कस्बे का एतिहासिक एवं पौराणिक मुरलीधर मेला शुरू हो गया है। इस मेले में प्रतिदिन हजारों की तादाद में लोग आते हैं। लोग यहां दुकानों पर खरीदारी करते हैं। मेले में बच्चों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रकार के झूले भी लगाए गए हैं। यह मेला 15 दिनों तक चलता है। कस्बा रामपुर मथुरा के किनारे से होकर बहने वाली चौका नदी जिसे पूर्व में चंद्रभागा नदी कहा जाता था। लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास इधर से गुजर रहे थे। उन्होंने मनमोहक वातावरण देखकर यहां के लोगों से इस स्थान का नाम पूछा। स्थान का नाम रामपुर मथुरा होने की जानकारी तथा राजा का नाम राम¨सह सुनकर गोस्वामीजी यहां पर ठहर गए। कुछ दिनों तक इसी चंद्रभागा नदी के तट पर रहकर उन्होंने महाकाव्य रामचरित मानस के अरण्य कांड की रचना की। जिसकी हस्तलिखित प्रतियां आज भी राजाराम¨सह के वर्तमान उत्तराधिकारियों के पास उपलब्ध हैं। गोस्वामी ने तत्कालीन राजा को चंद्रभागा नदी के तट पर एक ऐसे मंदिर निर्माण की प्रेरणा दी जिससे राम-कृष्ण की संयुक्त भक्ति धारा इस क्षेत्र में बह सके। इसी प्रेरणा से तत्कालीन राजा ने इस तट का नाम तुलसीघाट रखा और इसी स्थान पर भव्य राम-कृष्ण मंदिर का निर्माण कराया। इस मंदिर में राम-सीता, हनुमान सहित पूरा परिवार विराजमान है। यहां वर्ष में दो बार विशाल धनुष यज्ञ व रामलीला का आयोजन प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा किया जाता है। इस शारदीय मेले में बाहरी दुकानदारों के ठहरने से लेकर उनकी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था रहती है।
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